पणजी / पर्रिकर का निधन - पहले आईआईटीयन जो सीएम बने, उनकी सादगी, साफगोई की विपक्षी भी तारीफ करते थे

Dainik Bhaskar : Mar 17, 2019, 10:24 PM
पणजी. गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार को निधन हो गया। वे पहले आईआईटीयन थे जो किसी राज्य के मुख्यमंत्री बने। पर्रिकर की सादगी और साफगोई की विरोधी भी तारीफ करते थे। उन्हें मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी स्कूटर पर गोवा की सड़कों पर देखा जाना आम था। साल 2001 में पर्रिकर को आईआईटी बॉम्बे ने विशिष्ट एल्यूमिनी अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

मनोहर गोपालकृष्ण पर्रिकर का जन्म गोवा के मापुसा में 13 दिसंबर 1955 को हुआ था। पर्रिकर स्कूली शिक्षा के दौरान ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने 1978 में आईआईटी बॉम्बे से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया था। इसके बाद वे 26 साल की उम्र में मापुसा के संघ चालक बने। 1988 में भाजपा में शामिल हुए। इस दौरान वे राम जन्मभूमि आंदोलन का भी प्रमुख हिस्सा रहे।

स्कूटर से जाते थे विधानसभा

गोवा के मुख्यमंत्री होने के बावजूद पर्रिकर स्कूटर से विधानसभा जाया करते थे। रक्षामंत्री रहने के दौरान भी वे प्लेन में इकोनॉमी क्लॉस में ही सफर करते थे। पर्रिकर की छवि देश के बेदाग नेता वाली थी। किसी भी घोटाले में उनका नाम नहीं आया था। इसी छवि के चलते वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड लिस्ट में शामिल थे। उनकी सादगी ऐसी थी कि वे बड़े-बड़े सम्मेलनों में हवाई चप्पल और हॉफ शर्ट में भी पहुंच जाते थे।

गुजरात दंगे को मोदी के जीवन पर दाग कहा

पर्रिकर ने 2013 में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि गुजरात दंगे मोदी के करियर पर एक धब्बा है। उन्होंने कहा था कि वे मुख्यमंत्री होते तो सुनिश्चित करते की ऐसी घटना न हो। हालांकि, पर्रिकर ने यह भी कहा था कि मोदी व्यक्तिगत रूप से इसमें शामिल नहीं थे और उन्हें जांच में क्लीन चिट मिली है। हालांकि, पर्रिकर की प्रशासनिक और संगठनात्मक क्षमता के नरेंद्र मोदी भी कायल थे। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने पर्रिकर को 2014 में अपनी कैबिनेट में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी। वे 2017 तक इस पद पर रहे। 2014 में पर्रिकर के रक्षा मंत्री बनने के बाद लक्ष्मीकांत पार्सेकर को गोवा का सीएम बनाया गया था।

2017 में बहुमत में न आने के बाद भी गोवा में सरकार बनाई

गोवा में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए। इस दौरान पर्रिकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल थे। विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस राज्य की सबसे बड़ी पार्टी थी। पर्रिकर को पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए केंद्र की राजनीति से राज्य की राजनीति में लौटना पड़ा। वे 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में सिर्फ 14 सीटों के साथ भाजपा को सत्ता में पहुंचाने में कामयाब हुए।

बीमारी के बावजूद कार्यरत रहे

पर्रिकर को पैंक्रियाटिक कैंसर था। पिछले साल से उनका गोवा, मुंबई, अमेरिका और दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा था। इसके बाद भी उन्होंने इस बार के बजट सत्र में हिस्सा लिया और 30 जनवरी को बजट पेश किया था। इसके अगले दिन वे इलाज के लिए दिल्ली एम्स चले गए और 5 फरवरी को गोवा लौट आए थे। पर्रिकर को पिछले कुछ समय में जब भी किसी योजना का शिलान्यास करते या सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया, वे चिकित्सीय उपकरणों से लैस ही थे। नासोगेस्ट्रिक ट्यूब उनके चेहरे पर लगी रहती थी।

पर्रिकर ने कहा था- अंतिम सांस तक ईमानदारी के साथ गोवा की सेवा करूंगा

इस साल गोवा विधानसभा में बजट पेश करते हुए मनोहर पर्रिकर ने कहा था, ‘अंतिम सांस तक ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ गोवा की सेवा करूंगा। जोश है और बहुत ऊंचा है और मैं पूरी तरह से होश में हूं।’

चार बार मुख्यमंत्री रहे पर्रिकर

मनोहर पर्रिकर 24 अक्टूबर, 2000 को पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। उनकी सरकार 27 फरवरी, 2002 तक चली। दूसरी बार 2002 से 2005 तक, तीसरी बार मार्च 2012 से 8 नवंबर 2014 तक और चौथी बार 2017 से अब तक उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री का पद संभाला।

पत्नी का भी कैंसर से निधन हुआ था

पर्रिकर की पत्नी मेधा का 2001 में कैंसर से निधन हो गया था। पर्रिकर के दो बेटे, उत्पल और अभिजात हैं। उत्पल ने अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। अभिजात कारोबारी हैं।

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