Coronavirus / जांच रिपोर्ट निगेटिव आए तो भी रहें सावधान, लक्षणों को न करें नजरअंदाज

AMAR UJALA : Jul 12, 2020, 11:44 PM
Coronavirus: देश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। ऐसे में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसे व्यक्ति जिनकी कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई हो, वो भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि ऐसे लोग जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे हैं उनका इलाज करना जरूरी है। इसके लिए उनकी जांच रिपोर्ट के आने का इंतजार नहीं करना चाहिए। 

चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें मरीज में कोविड-19 के क्लिनिकल लक्षण दिख रहे होते हैं लेकिन कई बार उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है। चिकित्सकों ने कहा कि ऐसे मरीजों की लगातार कई जांच करने के बाद उनमें संक्रमण की पुष्टि हो पाई। ऐसे में इलाज शुरू करने के लिए रिपोर्ट पर निर्भर रहना मरीज के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। 

इलाज के लिए रिपोर्ट आने का इंतजार नहीं कर सकते

दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पल्मोनरी विभाग, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन में प्रोफेसर डॉक्टर नीरज गुप्ता कहते हैं कि अब विशेषज्ञों की आम राय यह है कि इलाज के लिए मरीज में दिख रहे लक्षणों की प्रबलता और सीटी स्कैन रिपोर्ट को प्रमुख कारक होना चाहिए। इलाज शुरू करने के लिए केवल आरटी-पीसीआर टेस्ट के परिणाम पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, जिसके सही होने की दर केवल 70 फीसदी है। 

डॉ. गुप्ता का कहना है कि अगर हम केवल इन जांचों पर निर्भर रहे तो बड़ी संख्या में मरीज इलाज से ही वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा कि रैपिड एंटीजन टेस्ट की संवेदनशीलता भी महज 40 फीसदी है। हालांकि, एंटीबॉडी जांच की संवेदनशीलता 90 फीसदी होती है, लेकिन यह केवल कोरोना वायरस के पहले के संक्रमण की पुष्टि करने में उपयोगी होती है। बीमारी के शुरुआती चरणों में इसका कोई मूल्य नहीं है।

कई मामले ऐसे जिनमें लक्षण हैं लेकिन रिपोर्ट निगेटिव

डॉ. गुप्ता कहते हैं, 'इलाज शुरू करने के लिए हम जांच रिपोर्ट के आने का इंतजार नहीं कर सकते। इसके लिए हमें लक्षणों को आधार मानना होगा।' विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसे मामलों में जिनमें मरीज में बीमारी के लक्षण तो कोविड-19 के दिख रहे हों लेकिन बार-बार जांच के बाद भी संक्रमण की पुष्टि न हो रही हो तो फेफड़ों का सीटी स्कैन सही परिणाम जानने में लाभप्रद हो सकता है।  

एम्स में गेरिएट्रिक मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विजय गुर्जर कहते हैं कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें बीमारी के लक्षण दिखने के बाद भी मरीज की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। ऐसे मरीजों की तीन से चार बार आरटी-पीसीआर जांच कराने के बाद भी इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। जबकि, सीटी स्कैन में अलग निमोनिया के संकेत मिले हैं, जिसके कोविड-19 होने की प्रबल आशंका होती है। 

सैंपल लेने के गलत तरीके से भी बदल सकता है परिणाम

उन्होंने कहा, बाद में पता चला कि उन मरीजों के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी थीं। इसका मतलब उन्हें संक्रमण था लेकिन आरटी-पीसीआर जांच में इनकी रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी। डॉ. गुर्जर कहते हैं, 'ऐसे में अगर मरीज में लक्षण दिख रहे हैं या मरीज बुजुर्ग है या वह किसी बीमारी से ग्रस्त है तो उसका इलाज कोविड-19 के हिसाब से किया जाना चाहिए और इसके लिए जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने का इंतजार नहीं करना चाहिए।'

वहीं, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में स्लीप डिसऑर्डर, क्रिटिकल केयर और रेस्पिरेटरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. निखिल मोदी कहते हैं कि जांच परिणाम गलत आने के पीछे एक प्रमुख कारण सैंपल लेने का गलत तरीका है। अगर सैंपल सही तरीके से नहीं लिया गया है तो इससे जांच का परिणाम गलत आ सकता है। सैंपल में वायरल की मात्रा (वायरल लोड) कम होने पर संक्रमण होने पर भी नतीजा निगेटिव आ सकता है। 

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