देश / वाराणसी में CAA पर बोले PM मोदी- तमाम दबाव के बावजूद उनकी सरकार फैसले पर अडिग है

NDTV : Feb 16, 2020, 03:21 PM
वाराणसी | प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने वाराणसी में रविवार को करीब 12 सौ करोड़ रुपये की 50 विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईआरसीटीसी के ‘महाकाल एक्सप्रेस' को वीडियो लिंक के माध्यम से हरी झंडी दिखायी। वाराणसी में पीएम मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ लगातार प्रदर्शनों के बीच कहा कि तमाम दबाव के बावजूद उनकी सरकार फैसले पर अडिग है। उन्होंने कहा, ‘चाहे अनुच्छेद 370 पर फैसला हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून पर फैसला हो, यह देश हित में जरूरी था। दबाव के बावजूद हम अपने फैसले के साथ खड़े हैं और इसके साथ बने रहेंगे।' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित न्यास तेजी से काम करेगा।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत की सही पहचान को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का दायित्व हम पर है और देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता, बल्कि प्रत्येक नागरिक के संस्कार से बनता है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही नये भारत की दिशा तय करेगा। अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के एकदिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने जंगमबाड़ी मठ में आयोजित श्री जगदगुरु विश्वराध्य गुरुकुल के शताब्दी समारोह के समापन पर कहा कि भारत में राष्ट्र का यह मतलब कभी भी जीत हार नहीं रहा।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां राष्ट्र सत्ता से नहीं बल्कि संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है। यह निवासियों के सामर्थ्य से बना है। ऐसे में भारत की सही पहचान को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का दायित्व हम पर है। देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता, बल्कि प्रत्येक नागरिक के संस्कार से बनता है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही नये भारत की दिशा तय करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वीरशैव परम्परा के सभी साथियों के साथ जुड़ना अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है। यह परम्परा वीर शब्द को आध्यात्म से जोड़ती है। जो विरोध की भावना से उपर उठ गया है वही वीरशैव है। यही कारण है कि समाज को बैर, विरोध और विकार से बाहर निकालने में वीरशैव का आग्रह और प्रखर नेतृत्व रहा है।

उन्होंने श्री सिद्धान्त शिखमणी ग्रन्थ के 19 भाषाओं में अनुदित संस्करण और इसके मोबाइल एप्लिकेशन का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि इस ग्रंथ को 21वीं सदी का रूप देने के लिये वह विशेष अभिनन्दन करते हैं। भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले इस दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचाया जाना चाहिये। एक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से यह दर्शन युवाओं तक पहुंचकर उन्हें प्रेरणा देगा।

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