देश / UN की 75वीं वर्षगांठ पर PM मोदी का संबोधन, दुनिया को समझाया 'वसुधैव कुटुम्बकम' का महत्व

Zee News : Sep 22, 2020, 08:16 AM
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की 75वीं वर्षगांठ पर उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए दुनिया को भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के महत्व को समझाया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की तारीफ करते हुए कहा कि 75 साल पहले युद्ध की भयावहता से एक नई आशा निर्मित हुई। मानव इतिहास में पहली बार पूरी दुनिया के लिए एक संस्था बनाई गई। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के संस्थापक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत उस महान दृष्टिकोण का हिस्सा था। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि UN विश्वास के संकट से जूझ रहा है और उसे इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।


दुनिया एक परिवार

सोमवार देर रात वर्चुअल रूप से UNGA की बैठक को संबोधित करते हुए PM मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दर्शन को प्रतिबिंबित किया, जो दुनिया को एक परिवार के रूप में देखता है। UN की वजह से आज हमारी दुनिया एक बेहतर जगह है। हम उन सभी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने शांति और विकास के लिए कार्य किया और संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में शांति अभियानों का हिस्सा रहे। इसमें भारत की भूमिका बेहद अहम रही है। 

UN में सुधार पर जोर

पीएम मोदी ने कहा, ‘आज जो घोषणाएं हम अपना रहे हैं, वे यह स्वीकार करती हैं कि संघर्ष रोकने, विकास सुनिश्चित करने, जलवायु परिवर्तन, असमानता घटाने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर अभी और काम करने की आवश्यकता है। ये घोषणाएं खुद संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को भी स्वीकार करती हैं। हम पुरानी संरचनाओं के साथ आज की चुनौतियों से नहीं लड़ सकते। व्यापक सुधारों के बिना, संयुक्त राष्ट्र के विश्वास का संकट है’। 


भारत शांति पसंद देश

PM ने आगे कहा कि मौजूदा अंतर्संबंधित दुनिया के लिए हमें एक सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता है, जो आज की वास्तविकताओं को दर्शाता हो, सभी हितधारकों को आवाज देता हो, समकालीन चुनौतियों का सामना करता हो और मानव कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता हो। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत एक शांति पसंद देश है और हमने हमेशा दुनिया को एक परिवार मानते हुए वसुधैव कुटुम्बकम के अपने दर्शन को प्रतिबिंबित किया है। आज दुनिया ने बहुत कुछ हासिल कर लिया है, लेकिन मूल मिशन अभी भी अधूरा है, बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।

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