Live Hindustan : Aug 28, 2019, 07:21 AM
अमेरिका के बाद रूस से भी पाकिस्तान को तगड़ा झटका लगने वाला है। कश्मीर मसले पर आपसी समझ के साथ भारत अपने परंपरागत सहयोगी व विश्वसनीय दोस्त रूस के साथ सामरिक व आर्थिक रिश्तों को खास तरजीह दे रहा है। अमेरिकी दबाव के बावजूद रूस के साथ भारत एस - 400 सहित कई अन्य सामरिक समझौतों को बरकरार रखने की प्रतिबद्धता जता चुका है। वहीं नई सामरिक व आर्थिक भागीदारी की पटकथा लिखी जा रही है।
कूटनीतिक जानकारों ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की क्लोज डोर बैठक में रूस के मुखर समर्थन ने दोनों देशों का भरोसा बढ़ाया है। इसी समझ को आगे बढ़ाने के लिए पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने रूस का दौरा किया और अब विदेश मंत्री जयशंकर रूस के दौरे पर हैं। जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में जब रूस जाएंगे तो परस्पर रिश्तों की नई ऊंचाई दिखेगी।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मॉस्को में मुलाकात को भारत की मिशन कश्मीर कूटनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। चार से छह सितंबर के बीच व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को शामिल होना है। माना जा रहा कि व्यापारिक साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर व्यापक चर्चा के अलावा प्रधानमंत्री इस मौके का इस्तेमाल कश्मीर सहित विभिन्न रणनीतिक मुद्दों पर आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए भी करेंगे।
जयशंकर की यात्रा से कुछ दिन पहले सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने रूसी समकक्ष निकोलाई पैत्रुशेव के साथ वार्ता की थी, जिसमें दोनों पक्षों ने संप्रभुता,क्षेत्रीय अखंडता और तीसरे पक्षों के गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों के समर्थन को रेखांकित किया। मुलाकात के दौरान भी रूस ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने का समर्थन किया था।
कूटनीति
* भारत-रूस के रिश्तों को मजबूत बनाएगी विदेश मंत्री की यात्रा।
* पीएम की सितंबर में यात्रा के दौरान मिशन कश्मीर कूटनीति भी चढ़ेगी।