Jansatta : Nov 13, 2019, 05:00 PM
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (13 नवंबर, 2019) को अयोग्य करार दिए गए कर्नाटक के 17 विधायकों पर अहम फैसला लिया। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को बरकरार रखा और साथ ही विधायकों को पांच दिसंबर को होने जा रहे उपचुनाव लड़ने की अनुमति दे दी। कोर्ट के इस फैसले को अपनी जीत करार देते हुए कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है।कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कर्नाटक भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब साफ हो गया है कि कर्नाटक में भाजपा ने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की चुनी हुई सरकार को जबरन गिराया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘सप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कर्नाटक में ‘ऑपरेशन कमल’ के ढोल की पोल खोल दी। अब साफ है कि भाजपा ने जेडीएस-कांग्रेस की चुनी सरकार को जबरन गिराया था। येदयुरप्पा सरकार कानून और संविधान की दृष्टि से एक ‘नाजायज’ सरकार है और उसे फौरन बर्खास्त करना चाहिए।’ उल्लेखनीय है कि कांग्रेस प्रवक्ता ने भाजपा को निशाने पर लेते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए।दूसरे ट्वीट में सुरजेवाला ने कहा, ‘जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों की मांग है कि ना केवल ‘नाजायज’ येदयुरप्पा सरकार बर्खास्त हो पर विधायकों की धन बल के आधार पर खरीद कर चुनी हुई सरकार गिराने के भाजपाई षड्यंत्र की जांच हो। ‘येदयुरप्पा टेप्स’ की जांच हो। ये सारा काला धन कहां से आया? भाजपा नेतृत्व की क्या भूमिका थी?
ट्वीट में आगे लिखा गया, ‘अब गेंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पाले में है। 1. क्या राजनीति की शुचिता की रोज दुहाई देने वाले मोदी जी अब ‘नाजायज’ येदयुरप्पा सरकार को बर्खास्त करने का साहस दिखाएंगे? 2. क्या ‘ऑपरेशन कमल’ की निष्पक्ष जांच होगी? 3. क्या येदयुरप्पा व श्री अमित शाह की भूमिका की जांच होगी? 4. क्या आप अब भी इन भगोड़े विधायकों को भाजपा की टिकट देंगे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ‘अयोग्य’ घोषित किया है?’सप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कर्नाटक में ‘ऑपरेशन कमल’ के ढोल की पोल खोल दी।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 13, 2019
अब साफ़ है कि भाजपा ने जे.डी(एस)-कांग्रेस की चुनी सरकार को जबरन गिराया था।
येदयुरप्पा सरकार क़ानून और संविधान की दृष्टि से एक ‘नाजायज़’ सरकार है और उसे फ़ौरन बर्खास्त करना चाहिए।
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ट्वीट में आगे लिखा गया कि ‘प्रधानमंत्री जी, अगर आपने ये 4 कदम नही उठाए तो राजनीति की ‘गंगा’ को मैली करने की जिम्मेदारी सदा के लिए आपकी है।’ बता दें कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने विधानसभा में एचडी कुमारस्वामी सरकार के विश्वास प्रस्ताव से पहले ही 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। विधानसभा में विश्वास मत्र प्राप्त करने में विफल रहने पर कुमारस्वामी की सरकार ने इस्तीफा दे दिया था।इसके बाद, भाजपा के बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में नई सरकार का गठन हुआ। इन विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की वजह से 17 में से 15 सीटों के लिए पांच दिसंबर को उपचुनाव हो रहे हैं। कोर्ट के फैसले के बाद अयोग्य घोषित किए गए विधायक इन उपचुनाव में नामांकन पत्र दाखिल कर सकते हैं। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 18 नवम्बर है।यहां बता दें कि भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए इन 15 में से कम से कम छह सीटों पर जीतना जरूरी होगा। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार के फैसले को बरकरार रखा लेकिन साथ ही इन विधायकों को पांच दिसंबर को उपचुनाव लड़ने की अनुमति भी दे दी।कोर्ट ने हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले का वह हिस्सा हटा दिया जिसमें कहा गया था कि ये विधायक 15वीं कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने तक अयोग्य ही रहेंगे।2/3
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 13, 2019
जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों की माँग है कि न केवल ‘नाजायज़’ येदयुरप्पा सरकार बर्खास्त हो पर विधायकों की धन बल के आधार पर ख़रीद कर चुनी हुई सरकार गिराने के भाजपाई षड्यंत्र की जाँच हो
‘येदयुरप्पा टेप्स’ की जाँच हो।
ये सारा काला धन कहाँ से आया?
भाजपा नेतृत्व की क्या भूमिका थी? pic.twitter.com/CAYkrag4VU