कोरोना अलर्ट / इस जगह की हवा में है जहर, जिंदा रहने के लिए 24 घंटे पहनना पड़ता है मास्क

भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, ऐसे में दिल्ली सरकार समेत कई राज्यों ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। आज लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहन रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में एक ऐसी जगह भी है, जहां लोग जिंदा रहने के लिए 24 घंटे मास्क पहनते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

AajTak : Apr 11, 2020, 12:56 PM
भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार  बढ़  रही है, ऐसे में दिल्ली सरकार समेत कई राज्यों ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। आज लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क पहन रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते  हैं दुनिया में एक ऐसी जगह भी है, जहां लोग जिंदा रहने के लिए 24 घंटे मास्क पहनते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

कोरोना वायरस से बचने के लिए N 95 या आम मास्क पहने जा रहे हैं, वहीं कई सालों  से जापान के मियाकेजीमा इजू आइलैंड  (Miyakejima Izu Island) में रहने वाले लोग 24 घंटे मास्क पहनकर रखते हैं। बता दें, ये आम मास्क नहीं हैं। इन मास्क को 'गैस मास्क' कहा जाता है।

क्यों यहां के लोग पहनते हैं मास्क

धरती पर ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं, जिसमें इंसान को जिंदा रहने के लिए कई तरीके अपनाने पड़ते हैं। मियाकेजीमा इजू आइलैंड में लोग विकट परिस्थिति से गुजर रहे हैं।

दरअसल इस आइलैंड पर इंसान रहते तो हैं पर उन्हें जिंदा रहने के लिए हमेशा गैस मास्क पहनना पड़ता है, क्योंकि यहां की हवा में जहरीली गैसों की मात्रा सामान्य स्तर से बहुत अधिक है।

क्यों है यहां की हवा जहरीली

बता दें, इजू आइलैंड्स छोटे-बड़े कई आइलैंड्स का एक समूह है। इनमें से केवल सात आइलैंड हैं, जहां लोग रहते हैं। इन्हीं में से एक है मियाकेजीमा आइलैंड।

आज ये  टूरिज्म के लिए फेमस है। यहां आने वाले हर टूरिस्ट को मास्क पहनना अनिवार्य है। दरअसल  इजू आइलैंडस एक सक्रिय ज्वालामुखी के पास स्थित है। ऐसे में यहां लोगों के मन में ज्वालामुखी फटने  का डर हमेशा रहता है।

जब हुआ विस्फोट

अगर  मियाकेजीमा आइलैंड के इतिहास की  बात करें तो साल 2000 में भयंकर विस्फोट हुआ था। ये विस्फोट इतना खतरनाक था कि यहां के लोगों को अपने घर खाली करने पड़ गए थे।

वहां के लोगों का कहना था- वह विस्फोट नहीं बल्कि तबाही का मंजर था। ऐसा लग रहा था मानो सब खत्म हो गया हो। उस विस्फोट ने आइलैंड की आबादी को अपने घरों को खाली करने के लिए मजबूर किया। जहरीली गैस ने हवा पर कब्जा कर लिया। क्षेत्र में उड़ानों पर रोक  लगा दी गई थी।

जब विस्फोट हुआ तो लावा के साथ- साथ बड़ी मात्रा में जहरीले गैसे (मुख्यत सल्फर डाई ऑक्साइड) निकली थी इतना ही नहीं ज्वालामुखी के शांत होने के बाद भी इन जहरीली गैसो का निकलना जारी रहा था। आपको बता दें, साल 2000  से  पहले भी यहां कई बड़े विस्फोट हुए हैं।

मियाकेजीमा में स्थित ज्वालामुखी पिछले 500 साल में कई बार फटा है। रिपोर्ट्स के अनुसार 1940 में हुए विस्फोट ने 11 लोगों की जान ले ली थी। जिसके बाद  1962 और 1983 में विस्फोट हुए।  

जब 2000 में इस ज्वालामुखी में विस्फोट हुए तो लोगों के वहां पर रहने की पाबंदी लगा दी गई।  लेकिन साल 2005 में लोगों ने धीरे- धोरे  बसना शुरू कर दिया था।2005 तक ज्यादातर लोगों ने आइलैंड पर लौटना शुरू कर दिया था। सरकार ने लोगों को 24 घंटे गैस मास्क पहनने की सलाह दी थी। वहीं सरकार भी नियमित रूप से लोगों के स्वास्थ्य की जांच करती थी। जो लोग गैस मास्क नहीं पहनते उन्हें आइलैंड पर रहने की अनुमति नहीं दी जाती थी।

इंडिया टुडे की  2015 की रिपोर्ट के अनुसार  साल 2000 में हुए विस्फोट के दौरान 3,600  लोगों को आइलैंड छोड़ना पड़ा था। यहां की विषैली हवा ने कई  लोगों के फेफड़े खराब कर दिए थे।  

आज भी यहां के लोग विपरीत परिस्थितियों में रह रहे हैं।

किसी भी इंसान के लिए सबसे प्रिय स्थान उनका घर होता है, ऐसे में यहां के लोग न चाहते हुए भी अपना घर नहीं छोड़ पाए।

आज भी वह सामान्य जीवन सख्त नियम के साथ जी रहे हैं। यहां  शादियो में भी कपल गैस मास्क लगाकर आते हैं। ये फोटो देखकर भले ही आपको अजीब लगे, लेकिन ये शादी एक आम शादी की तरह ही थी।आपको बता दें, इस आइलैंड के मुख्य आकर्षण वो खाली पड़े मकान हैं, जिनके मालिक कभी इस आइलैंड पर वापस नहीं आए, वो इमारतें हैं जो कि लावे से तहस-नहस हो चुकी हैं। गैस मास्क टूरिज्म यहां के निवासियों की आय का एक मुख्य स्रोत है।

अब इस आइलैंड पर रोमांच पसंद टूरिस्ट भी आते हैं पर उन्हें आइलैंड पर उतरते ही गैस मास्क लगाने पड़ते हैं।  इसके लिए यहां के स्टोर पर डिस्पोजेबल मास्क मिलते हैं।  टूरिज्म वर्ल्ड में ये "GAS MASK TOURISM" के नाम से प्रसिद्ध है।