देश / लॉकडाउन में डॉक्टर ड्यूटी पर निकली तो पुलिस ने जड़ दिया थप्पड़- सुनाई आपबीती

News18 : Mar 25, 2020, 01:37 PM
हैदराबाद। भारत समेत दुनियाभर के देश इस समय कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी का सामना कर रहे हैं। इस स्थिति में भी ऐसे कई लोग भी हैं, जो अपनी जान की परवाह किए बिना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं और लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जनता कर्फ्यू के बाद डॉक्टरों, नर्सों, सफाई कर्मचारियों और पुलिस के इस योगदान के लिए पांच मिनट ताली बजाकर उनका आभार जताने को कहा था। इस बीच तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कुछ डॉक्टर मारपीट और बदसलूकी का शिकार हो रहे हैं।

ये मामला तेलंगाना के खम्मम जिले का है। यहां ममता मेडिकल कॉलेज की एक पीजी डॉक्टर का आरोप है कि लॉकडाउन के दौरान बाहर निकलने पर चेकपोस्ट पर पुलिस द्वारा कथित रूप से दुर्व्यवहार किया गया। इस डॉक्टर का कहना है कि सोमवार को 8:30 बजे उन्हें इमरजेंसी सर्विस के लिए बुलाया गया था, इसलिए वह घर से बाहर निकली थीं। कारण बताए जाने का बाद भी पुलिस ने नहीं सुनी और उनके साथ बदसलूकी की।

महिला डॉक्टर का आरोप है कि हॉस्पिटल जाने के दौरान लोकल कॉन्सटेबल ने उन्हें रोक दिया। कॉन्सटेबल उन्हें एसीपी पीवी गणेश के पास लेकर गया। आरोप है कि आईकार्ड दिखाने के बाद भी एसीपी ने उनके साथ बदसलूकी की और थप्पड़ जड़ दिया।

वह आगे बताती हैं, 'एसीपी ने मुझसे कहा कि क्या मुझमें कोई शर्म है? मैं लॉकडाउन के दौरान घर से बाहर क्यों निकली हूं? पढ़ी-लिखी होने के बाद भी क्या मुझे लॉकडाउन का मतलब नहीं पता है।'

डॉक्टर आगे बताती हैं, 'मैंने पहले तो उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की। उनसे कहा कि मैं एक डॉक्टर हूं, और मेरे घर से बाहर निकलने के कुछ कारण हैं। लेकिन इस बीच एसीपी ने मुझे थप्पड़ मार दिया और मेरे बाल खींचते हुए पुलिस स्टेशन तक लेकर गए। वहां कोई फीमेल अफसर भी नहीं थी।'

डॉक्टर ने मारपीट और बदसलूकी करने वाले पुलिस अफसर के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई थी। हालांकि, पुलिस अफसर के माफी मांगने के बाद उन्होंने अपनी शिकायत वापस ले ली है।

महिला डॉक्टर ने कहा, 'हम सब कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं। पुलिस हो या डॉक्टर दोनों जनता के लिए काम करते हैं। मुझे नहीं लगता कि ये वक्त एक-दूसरे से लड़ने का है। पुलिस अफसर ने माफी मांग ली और मैंने भी अपनी शिकायत वापस ले ली है। प्लीज डॉक्टरों के साथ ऐसा बर्ताव मत करिए। कोरोना की वजह से हम पहले से ही बहुत मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।'

खम्मम जिले में एसीपी गणेश के खिलाफ कुछ और डॉक्टरों ने भी ऐसे ही आरोप लगाए हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टर श्याम कुमार का आरोप है कि उन्हें इमरजेंसी ड्यूटी के बुलाया गया था। वह अस्पताल जाने के लिए निकले थे, रास्ते में पुलिसवालों ने उन्हें रोक लिया।

डॉक्टर श्याम कुमार बताते हैं, 'हम लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा कर ड्यूटी कर रहे हैं और पुलिस हमारे साथ ऐसा बर्ताव कर रही है। एसीपी ने मेरे खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने मेरी गाड़ी जब्त करने की धमकी भी दी। मैं चाहता हूं कि वह सार्वजनिक रूप से माफी मांगे।'

खम्मम से करीब 120 किलोमीटर दूर वारंगल जिले में महात्मा गांधी मेमोरियल (MGM) हॉस्पिटल के करीब 200 हाउस सर्जनों को हॉस्टल छोड़ने का फरमान जारी कर दिया गया है, क्योंकि ये सभी कोरोना संक्रमितों के आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे थे। हालांकि, इन हाउस सर्जनों के रहने के लिए अलग इंतजाम करने की बात कही गई है, लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं है।

पुलिस के डर से यहां तक कि कुछ डॉक्टर दूसरी जगह किराये पर रहने की जगह भी तलाश रहे हैं। लेकिन, उन्हें किराये पर कोई कमरा भी नहीं दे रहा। ज्यादातर मकान मालिक उन्हें 'संक्रमित और गंदे' लोग कहकर बाहर से ही चलता कर दे रहे हैं।

MGM हॉस्पिटल के एक डॉक्टर ने बताया, 'हमारे प्रिंसिपल ने बताया कि उन्हें डिस्ट्रिक कलेक्टर की ओर हॉस्टल को आइसोलेशन वार्ड बनाने के ऑर्डर मिले हैं। इसलिए हमें तुरंत हॉस्टल छोड़कर जाने के लिए कहा जा रहा है। हम किराये पर रूम के लिए लोगों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन वे हमसे बात तक नहीं करना चाहते। वे कहते हैं कि तुम लोग गंदे और कोरोना से संक्रमित हो। इसलिए हमें रहने के लिए कमरा नहीं दिया जा सकता।'

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