कोरोना वायरस / कोरोना के इलाज के लिए दो दवाओं को मिलाने की तैयारी, मिलेगी कामयाबी?

AajTak : May 27, 2020, 08:20 AM
दिल्ली: कोरोना महामारी से निपटने के लिए एक ओर वैक्सीन की खोज जारी है तो दूसरी ओर इसके सटीक इलाज की भी तलाश की जा रही है। कोरोना वायरस के इलाज को लेकर हल्की सी उम्मीद उस समय बंधी जब प्रतिष्ठित दवा कंपनी ग्लेनमार्क ने दावा किया कि भारतीय नियामक संस्था डीसीजीआई के निदेशक नियंत्रण जनरल से नए तरह से इलाज करने की जरुरी मंजूरी मिल गई है।

क्लीनिकल ट्रायल के साथ आगे बढ़ने के लिए 2 एंटी-वायरल दवाओं फेविपिरवीर और उमिफेनोविर का संयोजन शामिल किया जाएगा। यह क्लीनिकल ट्रायल देशभर केअस्पतालों में भर्ती 158 मरीजों (कोविड-19 संक्रमण के साथ) पर किया जाएगा और इस इलाज के दौरान सुरक्षा और प्रभावकारिता का मूल्यांकन भी किया जाएगा।

इन रोगियों को दो समूहों में बांटा जाएगा जिसमें एक समूह को तैयार किए गए दो एंटी-वायरल दवाओं का संयोजन दिया जाएगा तो दूसरे समूह को सपोर्टिव देखभाल के साथ सिर्फ फेविपिरविर ही दी जाएगी।

ट्रायल को लेकर क्या कहती है कंपनी?


आखिर इस ट्रायल का आधार क्या है? इस पर ग्लेनमार्क का कहना है कि फेविपिरवीर और उमिफेनोविर अलग-अलग तरह से काम करती हैं, इसलिए दो एंटी-वायरल दवाओं का संयोजन इस अर्थ में बेहतर असर दिखा सकता है कि यह कोविड-19 मरीजों के शुरुआती स्तर पर ही हाई वायरल लोड से निपट सकता है।

इस संयोजन परीक्षण को FAITH (FA vipiravir plus Um I fenovir (प्रभावकारिता और सुरक्षा) Trial in Indian Hospital setting) कहा जाएगा।

इंडिया टुडे से बात करते हुए ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर मोनिका टंडन ने कहा कि एंटीवायरल एजेंटों को जोड़ना जोकि एक अच्छा सुरक्षित प्रोफाइल है और ये वायरल लाइफ साइकिल के विभिन्न चरणों में कार्य करते हैं। शुरुआती उच्च वायरल लोड को तेजी से दबाने के लिए यह एक प्रभावी उपचार दृष्टिकोण है। क्लीनिकल पैरामीटर पर कुल मिलाकर सुधार करता है।


उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि ग्लेनमार्क का अध्ययन भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित उपचार की पहचान करने में अग्रणी साबित होगा। कई संभावित रोगियों पर उपचार से इतर, हमें यह भी उम्मीद है कि संयोजन थैरेपी (कंबिनेशन थैरेपी) कोरोना पीड़ितों का इलाज कर रहे मेडिकल पेशेवरों और स्वास्थ्य सेवाकर्मियों के बीच संक्रमण के जोखिम को भी कम करेगा।

फेविपिरविर एक ओरल एंटीवायरल दवा है जिसे 2014 से जापान में इन्फ्लूएंजा वायरस के संक्रमण के फिर से उभरने पर दिया गया था। यह एंटी-वायरल दवा वायरल प्रतिकृति को प्रतिबंधित करती है। जबकि उमिफेनोविर एक अन्य ओरल एंटी-वायरल दवा है जो कोशिकाओं को वायरल के संपर्क में आने से रोकती है और वायरल प्रवेश अवरोधक के रूप में कार्य करता है।


इलाज के बाद टेस्टिंग भी जरूरी

इन आधारों पर है कि कंपनी को ऐसा लगता है कि दो दवाओं का संयोजन एंटीवायरल कवर करने में सक्षम साबित हो सकता है। उपचार की अवधि 14 दिन है और इलाज के बाद मरीजों को छुट्टी दे दी जाएगी।

इलाज के बाद मरीजों को 2 कोरोना टेस्टिंग करानी होगी और यदि RT_PCR के आधार पर दोनों टेस्टिंग में उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।

इस बीच कंपनी का कहना है कि वह देश के 9 प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों से नामांकित 150 मरीजों के साथ COVID-19 मोनोथेरेपी विकल्प के रूप में फेवीपिरवीर के तीसरे चरण की टेस्टिंग कर रही है। अब तक 30 रोगियों पर परीक्षण किया जा चुका है। जुलाई या अगस्त 2020 तक मोनोथैरेपी के तीसरे चरण के रिजल्ट आने की संभावना है।

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