News18 : Jun 13, 2020, 09:58 AM
बेंगलुरु। कोरोना संकट (Corona Crisis) के बीच भारत (India) और जापान (Japan) चंद्र अभियान लॉन्च करने की तैयारियां कर रहे हैं। इस अभियान को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लीड करेगा। जापान की स्पेस एजेंसी JAXA के मुताबिक, इस मिशन की लॉन्चिंग 2023 के बाद की जाएगी। इसके अलावा इसरो का एक और ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम (इंसानी मिशन) भी 2022 में लॉन्च हो सकता है। इसे गगनयान का नाम दिया गया है।
2017 में हुई थी पहली बार बातचीतइस मिशन को लेकर दोनों देशों के बीच पहली बार बातचीत 2017 में हुई थी। मल्टी स्पेस एजेंसियों की बातचीत बेंगलुरु में हुई थी। अभी तक जापान इस तरह का कोई मिशन नहीं कर पाया है। भारत और जापान का ये मिशन पूरी तरह से रोबोटिक होगा। ये मिशन चंद्रमा पर बेस बनाने का ग्राउंड वर्क हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें वैश्विक स्पेस एजेंसियों का सहयोग भी लिया जा सकता है।जलवायु परिवर्तनों का अध्ययनबीते साल इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने भी बताया था भारत और जापान संयुक्त चंद्रमा मिशन पर विचार कर रहे हैं। साथ ही दोनों देश मौसम संबंधी निगरानी मापदंडों पर इनपुट साझा करने और एक-दूसरे के अंतरिक्ष सिगमेंट को इस्तेमाल करने पर भी राजी हो गए हैं। किरण कुमार के अनुसार, ‘हम एक संभव संयुक्त चंद्र मिशन के लिए एक भविष्य देख रहे हैं। भविष्य में हम यह भी देखेंगे कि जलवायु परिवर्तन के अध्ययनों के लिए और अधिक इनपुट का हम कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।'
चंद्रयान-2इससे पहले भारत के महात्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को 95 प्रतिशत सफलता हासिल हुई थी। आखिरी समय में एजेंसी का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। बाद में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया था। नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा तलाशा था। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला था। नासा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी थी। नासा ने विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढने का क्रेडिट चेन्नई के एक इंजीनियर को दिया था।
2017 में हुई थी पहली बार बातचीतइस मिशन को लेकर दोनों देशों के बीच पहली बार बातचीत 2017 में हुई थी। मल्टी स्पेस एजेंसियों की बातचीत बेंगलुरु में हुई थी। अभी तक जापान इस तरह का कोई मिशन नहीं कर पाया है। भारत और जापान का ये मिशन पूरी तरह से रोबोटिक होगा। ये मिशन चंद्रमा पर बेस बनाने का ग्राउंड वर्क हो सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसमें वैश्विक स्पेस एजेंसियों का सहयोग भी लिया जा सकता है।जलवायु परिवर्तनों का अध्ययनबीते साल इसरो अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने भी बताया था भारत और जापान संयुक्त चंद्रमा मिशन पर विचार कर रहे हैं। साथ ही दोनों देश मौसम संबंधी निगरानी मापदंडों पर इनपुट साझा करने और एक-दूसरे के अंतरिक्ष सिगमेंट को इस्तेमाल करने पर भी राजी हो गए हैं। किरण कुमार के अनुसार, ‘हम एक संभव संयुक्त चंद्र मिशन के लिए एक भविष्य देख रहे हैं। भविष्य में हम यह भी देखेंगे कि जलवायु परिवर्तन के अध्ययनों के लिए और अधिक इनपुट का हम कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।'
चंद्रयान-2इससे पहले भारत के महात्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 को 95 प्रतिशत सफलता हासिल हुई थी। आखिरी समय में एजेंसी का विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था। बाद में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने विक्रम लैंडर को लेकर बड़ा खुलासा किया था। नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा तलाशा था। चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला था। नासा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी थी। नासा ने विक्रम लैंडर का मलबा ढूंढने का क्रेडिट चेन्नई के एक इंजीनियर को दिया था।