Coronavirus / कोरोना काल की मार से कैसे उबरे इकॉनमी, पीएम मोदी की 50 अधिकारियों संग बैठक

Live Hindustan : Jul 16, 2020, 05:43 PM
Coronavirus: कोविड-19 महामारी के बाद बेपटरी हुई देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक इस दिशा में मोदी सरकार की तरफ से कई कदम भी उठाए जा चुके हैं। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कोविड-19 महामारी के राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आकलन करने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वित्त और वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का फोकस अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार पर होगा क्योंकि पिछले कुछ महीने से उपभोक्ता की मांग में भारी गिरावट के चलते मंदी देखी जा रही है। करीब डेढ़ घंटे की इस निर्धारित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक के दौरान स्थिति पर वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों के अधिकारी अपना प्रजेंटेशन देंगे।

एएनआई ने सूत्रों के हवाला से बताया, प्रधानमंत्री करीब 50 शीर्ष अधिकारियों से राय ले रहे हैं। इससे पहले, उन्होंने वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के आर्थिक सलाहकार परिषद, प्रधान और मुख्य आर्थिक सलाहकर के साथ अलग-अलग बैठकें की थी।

कोरोना संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने मई में व्यवसाय को पुनर्जीवित करने और आर्थिक बहाली के रोडमैप का स्वरुप तय करते हुए 20.97 लाख करोड़ एक बड़े वित्तीय ऐतिहासिक पैकेज का ऐलान किया गया था। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव का आकलन कर रही है और अगर जरूरत पड़ी तो और उपाय किए जाएंगे।

इससे पहले, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामान्य स्थिति की तरफ लौटने के संकेत दिखने लगे हैं। लॉकडाउन के तहत लागू विभिन्न प्रतिबंधों में ढील दिये जाने के बाद गतिविधियां बढ़ी हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह अभी अनिश्चित है कि आपूर्ति श्रृंखला पूरी तरह से कब शुरू हो जाएगी। मांग की स्थिति सामान्य होने में कितना समय लगेगा और यह महामारी हमारी संभावित वृद्धि पर कितने लंबे समय तक प्रभाव छोड़ती है यह देखने की बात है।

रिजर्व बैंक गवर्नर यहां 7वें एसबीआई बैंकिंग एण्ड इकोनोमिक्स कन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के लिये विकास पहली प्राथमिकता है लेकिन इसके साथ ही वित्तीय स्थिरता भी उतनी ही महतवपूर्ण है। 

उन्होंने कहा, ''प्रतिबंधों में ढील के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था के सामान्य स्थिति की तरफ लौटाने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने लक्ष्य विशेष से संबंधित और व्यापक स्तर के सुधार के तमाम उपायों की पहले ही घोषणा कर दी है, इनसे देश की संभावित वृद्धि को मदद मिलेगी। 


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