News18 : Sep 04, 2020, 08:30 AM
Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अक्ष्यता में हुई कैबिनेट बैठक में रेलवे को लेकर एतिहासिक फैसले लिए गए है। सरकार ने रेलवे बोर्ड और रेलवे की 8 अलग-अलग सर्विसों का पुनर्गठन कर दिया है। इसके तहत अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन आधिकारिक रूप से CEO की तरह काम करेंगे। रेलवे बोर्ड मेंबरों की तीन पोस्ट ख़त्म कर दी गई हैं। अब बोर्ड में चेयरमैन कम सीईओ के साथ सिर्फ 4 रेलवे बोर्ड मेंबर ही काम करेंगे।
रेलवे बोर्ड का स्वरूप बदला- आपको बता दें कि रेल मंत्री के बाद सबसे बड़ा अधिकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन (सीआरबी) होता है। उसके साथ अब तक 7 बोर्ड मेंबर होते थे। सीआरबी और मेंबरों को मिला कर रेलवे बोर्ड बनता है। रेलवे के सभी बड़े फैसले रेल मंत्री की निगरानी में रेलवे बोर्ड ही लेता है। अब इस रेलवे बोर्ड को छोटा कर दिया गया है। रेलवे की 3 सर्वोच्च स्तर की पोस्ट यानी 3 बोर्ड मेम्बर की पोस्ट को ख़त्म कर दिया गया है। इसके साथ ही 27 जनरल मैनेजरों की स्केल को बढ़ा कर बोर्ड मेम्बरों के लगभग समकक्ष कर दिया गया है। इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का हुआ गठन-भारतीय रेलवे के अलग-अलग कामों के लिए यानी अलग-अलग डिपार्टमेंट के लिए अब तक 8 अलग-अलग परीक्षाएं (ग्रुप सर्विस) होती थीं, जिसे पास कर कर्मचारी एक ही डिपार्टमेंट में काम करते थे। ऐसे में रेलवे के बड़े पदों के लिए इन डिपार्टमेंटों में मनमुटाव बना ही रहता था, जो एक बड़ी समस्या थी। नई रीस्ट्रकक्चरिंग में अब इन 8 ग्रुप सर्विसेज़ को एक साथ मर्ज कर के इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आईआरएमएस) नाम की एक नई ग्रुप ए सेंट्रल सर्विस का गठन किया गया है। इसका मतलब है कि अब उन आठों सर्विसेज़ के स्थान पर अकेली इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस काम करेगी। बदल गया इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस का नाम- इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस (आईआरएमएस) का नाम बदल कर अब इसे इंडियन रेलवे हेल्थ सर्विस ( आईआरएचएस) का नाम दिया गया है। अब तक रेलवे में अलग अलग सर्विस ग्रुप से आए अधिकारियों में अच्छी पोस्टिंग आदि को लेकर कानूनी और आंतरिक लड़ाइयां चलती रहती थीं। यहां तक कि अगर किसी मैकेनिकल सर्विस ग्रुप के व्यक्ति को उसकी क़ाबिलियत के कारण किसी खास पोस्ट पर बैठाया गया तो इलेक्ट्रिकल या अन्य ग्रुप सर्विस के अधिकारी दूसरी ग्रुप सर्विस के अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाते थे। अब रेलवे की सभी ग्रुप सर्विसों के मर्जर से ये असंतोष ख़त्म हो जाएगा और काम काज में स्पष्टता आएगी।प्रमोशन में वरिष्ठता और ग्रुप सर्विस विशेष का कोटा खत्म- अब तक रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले काम, असाइनमेंट और सम्बंधित पोस्ट उनकी वरिष्ठता और उनके ग्रुप सर्विस के कोटे के आधार पर होती थीं। प्रमोशन का आधार भी सिनियोरित्य और कोटा ही था, लेकिन मर्जर के बाद अब सभी अधिकारियों का प्रमोशन उनकी क्षमता और परफार्मेंस के आधार पर होगा। इसी आधार पर उन्हें काम भी दिया जाएगा। इससे सभी को सामान अवसर प्राप्त हो सकेंगे।यूपीएससी लेगी इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस की परीक्षा-8 अलग ग्रुप सर्विस को एक सर्विस में मर्ज किए जाने के बाद अब नए सिरे से होने वाली परीक्षाओं और अन्य मामलों को देखने के लिए रेलवे यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और डीओपीटी साथ मिल कर साझा प्रयास कर रहे हैं।
रेलवे बोर्ड का स्वरूप बदला- आपको बता दें कि रेल मंत्री के बाद सबसे बड़ा अधिकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन (सीआरबी) होता है। उसके साथ अब तक 7 बोर्ड मेंबर होते थे। सीआरबी और मेंबरों को मिला कर रेलवे बोर्ड बनता है। रेलवे के सभी बड़े फैसले रेल मंत्री की निगरानी में रेलवे बोर्ड ही लेता है। अब इस रेलवे बोर्ड को छोटा कर दिया गया है। रेलवे की 3 सर्वोच्च स्तर की पोस्ट यानी 3 बोर्ड मेम्बर की पोस्ट को ख़त्म कर दिया गया है। इसके साथ ही 27 जनरल मैनेजरों की स्केल को बढ़ा कर बोर्ड मेम्बरों के लगभग समकक्ष कर दिया गया है। इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस का हुआ गठन-भारतीय रेलवे के अलग-अलग कामों के लिए यानी अलग-अलग डिपार्टमेंट के लिए अब तक 8 अलग-अलग परीक्षाएं (ग्रुप सर्विस) होती थीं, जिसे पास कर कर्मचारी एक ही डिपार्टमेंट में काम करते थे। ऐसे में रेलवे के बड़े पदों के लिए इन डिपार्टमेंटों में मनमुटाव बना ही रहता था, जो एक बड़ी समस्या थी। नई रीस्ट्रकक्चरिंग में अब इन 8 ग्रुप सर्विसेज़ को एक साथ मर्ज कर के इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (आईआरएमएस) नाम की एक नई ग्रुप ए सेंट्रल सर्विस का गठन किया गया है। इसका मतलब है कि अब उन आठों सर्विसेज़ के स्थान पर अकेली इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस काम करेगी। बदल गया इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस का नाम- इंडियन रेलवे मेडिकल सर्विस (आईआरएमएस) का नाम बदल कर अब इसे इंडियन रेलवे हेल्थ सर्विस ( आईआरएचएस) का नाम दिया गया है। अब तक रेलवे में अलग अलग सर्विस ग्रुप से आए अधिकारियों में अच्छी पोस्टिंग आदि को लेकर कानूनी और आंतरिक लड़ाइयां चलती रहती थीं। यहां तक कि अगर किसी मैकेनिकल सर्विस ग्रुप के व्यक्ति को उसकी क़ाबिलियत के कारण किसी खास पोस्ट पर बैठाया गया तो इलेक्ट्रिकल या अन्य ग्रुप सर्विस के अधिकारी दूसरी ग्रुप सर्विस के अधिकारियों पर पक्षपात का आरोप लगाते थे। अब रेलवे की सभी ग्रुप सर्विसों के मर्जर से ये असंतोष ख़त्म हो जाएगा और काम काज में स्पष्टता आएगी।प्रमोशन में वरिष्ठता और ग्रुप सर्विस विशेष का कोटा खत्म- अब तक रेलवे अधिकारियों को मिलने वाले काम, असाइनमेंट और सम्बंधित पोस्ट उनकी वरिष्ठता और उनके ग्रुप सर्विस के कोटे के आधार पर होती थीं। प्रमोशन का आधार भी सिनियोरित्य और कोटा ही था, लेकिन मर्जर के बाद अब सभी अधिकारियों का प्रमोशन उनकी क्षमता और परफार्मेंस के आधार पर होगा। इसी आधार पर उन्हें काम भी दिया जाएगा। इससे सभी को सामान अवसर प्राप्त हो सकेंगे।यूपीएससी लेगी इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस की परीक्षा-8 अलग ग्रुप सर्विस को एक सर्विस में मर्ज किए जाने के बाद अब नए सिरे से होने वाली परीक्षाओं और अन्य मामलों को देखने के लिए रेलवे यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन और डीओपीटी साथ मिल कर साझा प्रयास कर रहे हैं।