AajTak : Aug 10, 2020, 03:41 PM
India-China: लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के आसपास अभी भी कई जगहों पर भारत और चीनी सैनिक आमने सामने हैं। इस तनाव को देखते हुए फ्रांस से हाल ही में मिले राफेल फाइटर जेट को भारतीय वायुसेना के पायलट पहाड़ी क्षेत्र में रात में उड़ाने का अभ्यास कर रहे हैं।मुताबिक पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी संभावित युद्ध की तैयारी के लिए वायुसेना के पायलट हिमाचल प्रदेश में राफेल जेट के साथ ट्रेनिंग कर रहे हैं। ये इसलिए किया जा रहा है ताकि अगर लद्दाख सेक्टर में 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति बिगड़ती है तो पायलट किसी भी एक्शन के लिए तैयार रहें।फ्रांस से मिले पांच राफेल लड़ाकू विमान हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाके में रात में उड़ान भरने का अभ्यास कर रहे हैं ताकि हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और SCALP (हवा से जमीन पर) जैसे हथियारों के साथ गोल्डन एरो स्क्वाड्रन किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहे।बता दें कि भारत सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल फाइटर जेट खरीदने का अनुबंध किया है। इस डील के तहत पहले चरण में भारतीय वायुसेना को 5 राफेल विमान मिल गए हैं जो 29 जुलाई को अंबाला पहुंचे थे।एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि पहाड़ी इलाके में अभ्यास कर रहे राफेल फाइटर जेट्स को LAC से दूर रखा जा रहा है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के रडार से उसकी फ्रीक्वेंसी की पहचान न हो जाए इसलिए ऐसा किया गया है।फाइटर जेट विशेषज्ञों का कहना है कि राफेल का इस्तेमाल लद्दाख सेक्टर में प्रशिक्षण के लिए भी किया जा सकता है क्योंकि ये सभी लड़ाकू विमान प्रोग्रामेबल सिग्नल प्रोसेसर (पीएसपी) या शत्रुता की स्थिति में सिग्नल फ्रीक्वेंसी को बदलने की क्षमता से लैस हैं।विशेषज्ञों के मुताबिक भले ही चीनी सेना (PLA) ने स्पष्ट इलेक्ट्रॉनिक लाइन ऑफ़ व्यू के लिए अक्साई चिन क्षेत्र में पहाड़ की चोटी पर अपने इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस रडार को तैनात कर रखा है लेकिन राफेल युद्ध के समय दूसरी फ्रीक्वेंसी पर काम कर सकता है। चीन ने विमानों को पकड़ने के लिए जो रडार लगाए हैं वो अच्छे हैं क्योंकि उसने अमेरिकी वायु सेना को ध्यान में रखते हुए उसका निर्माण किया है।राफेल विमान में Meteor और Scalp missile लगी हुई हैं। यह एयर-टू-एयर मिसाइल, विजुअल रेंज जैसी ताकत से लैस होगी। इसका मतलब हुआ कि पायलट विजुअल रेंज के बाहर भी दुश्मनों के ठिकाने और विमान पर हमला करने में सक्षम होंगे।