दिल्ली / राहुल गांधी ने कहा- अगर मैं बना प्रधानमंंत्री तो विकास से ज्यादा नौकरियों पर दूंगा जोर

Zoom News : Apr 03, 2021, 07:22 AM
नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने देश में संस्थागत ढांचे पर सत्तापक्ष की तरफ से पूरी तरह कब्जा कर लेने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा कि निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबला सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाएं अपेक्षित सहयोग नहीं दे रही हैं। उन्होंने अमेरिकी के जानेमाने शिक्षण संस्थान ‘हार्वर्ड कैनेडी स्कूल’ के छात्रों के साथ ऑनलाइन संवाद में असम विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Eelection 2021) के दौरान भाजपा (BJP) के एक विधायक की कार से ईवीएम मिलने का भी जिक्र किया।

इस कार्यक्रम की मेजबानी अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स ने की। यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री बनने का मौका मिलने पर उनकी आर्थिक नीति क्या होगी तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि वह नौकरियों के सृजन पर जोर देंगे। उन्होंने  कहा, 'मैं सिर्फ विकास केंद्रित विचार से नौकरी केंद्रित सोच की ओर बढ़ूंगा। हमें ग्रोथ की जरूरत है, लेकिन हम प्रोडक्शन, जॉब क्रिएशन और वैल्यू एडिशन को आगे बढ़ाने के लिए सब कुछ करेंगे।'

9 फीसदी आर्थिक विकास में कोई दिलचस्पी नहीं- राहुल

राहुल ने कहा, 'अगर नौकिरयां नहीं हैं तो मुझे 9 फीसदी आर्थिक विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है।' वायनाड सांसद ने कहा- 'मौजूदा स्थिति में अगर हमारी वृद्धि देखें, तो हमारे विकास, नौकरी, वैल्यू एडिशन और प्रॉडक्शन में जो रिश्ता होना चाहिए वह नहीं है। चीनी लोग वैल्यू एडिशन पर ध्यान देते हैं। मैं कभी किसी चीनी नेता से नहीं मिला जिसने कहा हो कि उसे नौकरियों के निर्माण में कोई दिक्कत हुई।'

अर्थव्यवस्था को गति देने के उपाय से जुड़े सवाल पर कांग्रेस नेता ने कहा, 'अब सिर्फ एक ही विकल्प है कि लोगों के हाथों में पैसे दिए जाएं। इसके लिए हमारे पास ‘न्याय’ का विचार है।' कोरोना संकट और लॉकडाउन के असर पर कांग्रेस नेता ने कहा, ' मैंने लॉकडाउन की शुरुआत में कहा था कि शक्ति का विकेंद्रीकरण किया जाए।।। लेकिन कुछ महीने बाद केंद्र सरकार की समझ में आया, तब तक नुकसान हो चुका था।'

संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं- राहुल

कांग्रेस की चुनावी असफलता और आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर राहुल गांधी ने कहा, 'हम आज ऐसी अलग स्थिति में हैं जहां वो संस्थाएं हमारी रक्षा नहीं कर पा रही हैं जिन्हें हमारी रक्षा करनी है। जिन संस्थाओं को निष्पक्ष राजनीतिक मुकाबले के लिए सहयोग देना है वो अब ऐसा नहीं कर रही हैं।'

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तापक्ष की तरफ से संस्थागत ढांचे पर पूरी तरह कब्जा कर लिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सत्तापक्ष से लोगों का मोहभंग हो रहा है और यह कांग्रेस के लिए एक अवसर भी है।

उन्होंने चीन के बढ़ते वर्चस्व की चुनौती के बारे में पूछे जाने पर कहा कि भारत और अमेरिका जैसे देश लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ ही समृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र के विकास से बीजिंग की चुनौती से निपट सकते हैं। 

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