देश / राहुल ने की महबूबा मुफ्ती की रिहाई की मांग, कहा- नेताओं को बंदी बनाना लोकतंत्र

AMAR UJALA : Aug 02, 2020, 04:38 PM
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। वे कोरोना वायरस महामारी और भारत-चीन के बीच जारी तनाव को लेकर सरकार को आड़े हाथ लेते रहते हैं। अब रविवार को उन्होंने जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती की रिहाई की मांग की है। 

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'भारत का लोकतंत्र उस समय क्षतिग्रस्त हो गया जब भारत सरकार ने गैरकानूनी रूप से राजनीतिक नेताओं को बंदी बनाया। यह सही समय है जब महबूबा मुफ्ती को रिहा किया जाए।'

राहुल से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाने का विरोध किया था। उन्होंने शनिवार को कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मुफ्ती की नजरबंदी बढ़ाना कानून का ही उल्लंघन नहीं है बल्कि नागरिकों को मिले संवैधानिक अधिकारों पर भी हमला है। उन्होंने पूछा कि 61 साल की पूर्व मुख्यमंत्री सार्वजनिक सुरक्षा के लिए कैसे खतरा हो सकती हैं?

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा था, 'पीएसए के तहत सुश्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी का विस्तार कानून का दुरुपयोग है और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। 61 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री, चौबीसो घंटे सुरक्षा गार्ड से संरक्षित व्यक्ति, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है?'

चिदंबरम ने आगे कहा था, 'उन्होंने उन शर्तों को जारी करने के प्रस्ताव को सही ढंग से खारिज कर दिया, जो कोई भी स्वाभिमानी राजनीतिक नेता मना कर देता। उनकी नजरबंदी के लिए दिए गए कारणों में से एक- उनकी पार्टी के झंडे का रंग है- जो हंसी का पात्र था। उन्हें अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के खिलाफ क्यों नहीं बोलना चाहिए? क्या यह स्वतंत्र भाषण के अधिकार का हिस्सा नहीं है?'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा था, 'मैं अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले उच्चतम न्यायालय में एक मामले में पेश वकील में से एक हूं। अगर मैं अनुच्छेद 370 के खिलाफ बोलूं- जैसा कि मुझे करना चाहिए- क्या यह सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा है? हमें सामूहिक रूप से अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए और महबूबा मुफ्ती को रिहा करें की मांग करनी चाहिए।'

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