Zee News : Feb 27, 2019, 05:58 PM
जयपुर/ आशीष चौहान: पंचायती राज एलडीसी भर्ती 2013 का मामला 6 साल बाद सुलझ गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भर्ती से जुड़ी फाइल को मंजूरी दे दी है. लगातार यह मामला कोर्ट में अटक रहा था जिसके बाद में 10,000 अभ्यर्थियों की नौकरी अटकी पड़ी थी. इसके अलावा पिछली सरकार ने कानूनी पर चीटियों का हवाला देते हुए इस भर्ती पर रोक लगा दी थी. 2013 में 19 हजार से ज्यादा पदों के लिए पंचायती राज विभाग में भर्तियां निकाली थी लेकिन उसके बाद में यह भर्तियां हमेशा से विवादों में रही. अब गहलोत सरकार के आने के बाद में एक बार फिर से हजारों अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है और बचे हुए 10,000 अभ्यर्थियों की भर्ती का रास्ता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खोल दिया है. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद में अब पंचायती राज विभाग जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी करेगा. हालांकि, पंचायती राज एलडीसी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मानसिंह राजपुरोहित ने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का धन्यवाद दिया है. उनका कहना है कि राजस्थान में पिछले 6 सालों से भर्तियां अटकी पड़ी थी. जिसके बाद में अभ्यर्थियों ने पूरी तरह से आस छोड़ दी थी कि उनकी नौकरी लगेगी लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह काम कर दिखाया और हजारों बेरोजगारों को नौकरियां दी.इस कारण अटकी रही थी भर्तीपंचायती राज एलडीसी भर्ती गहलोत सरकार के पूर्व कार्यकाल में निकाली गई थी. इसमें 19,000 से ज्यादा पदों के लिए नौकरियां निकाली गई थी. जिसमें से 9,000 पदों पर नियुक्तियां मिल चुकी थी. जिसके बाद बीजेपी सरकार ने कार्मिकों को और अधिक लाभ देने के लिए 10 प्रतिशत हर साल बोनस अंक देने की घोषणा की, लेकिन घोषणा के बाद फ्रेशर ने हाईकोर्ट में बोनस अंकों के विरोध में एसएलपी लगाई, जिसके बाद हाईकोर्ट ने बोनस अंकों को आधा कर दिया. इससे भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों को झटका लगा तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया कि कार्मिकों को 10 प्रतिशत बोनस अंक ही दिए जाएंगे. जिसके बाद विभाग ने करीब एक हजार से ज्यादा अभर्थियों को नौकरी दे दी.