जयपुर / राजस्थान सरकार का फरमान, अब बच्चों के मल का सैंपल लेंगे शिक्षक

Patrika : Jul 15, 2019, 10:42 AM
सांगोद (कोटा). स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था के साथ गैर शिक्षण कार्य संभाल रहे शिक्षकों से विभाग अब बच्चों के मल के नमूने लेने का काम भी करवाएगा। सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के पेट में कीड़ों ( worms in stomach ) की जांच के लिए शिक्षक बच्चों के घर जाकर उनके मल के नमूने एकत्र कराएंगे। ( Stools Test samples ) इसके लिए उन्हें बच्चों के माता-पिता से सहमति लेनी होगी। इस संबंध में गुरुवार को राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद ( Rajasthan School Education Council ) के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. एनके गुप्ता ने जिला शिक्षा अधिकारियों के नाम आदेश जारी किए हैं। शिक्षक संघों ने इस आदेश का विरोध किया है।

जानकारी के अनुसार गलत खान-पान एवं अन्य कई कारणों से बच्चों के पेट में कीड़े पडऩा आम बात है। इससे स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है, वे कुपोषण का शिकार होते हैं। इस समस्या से निजात के लिए बच्चों को डिवर्मिंग गोलियां भी खिलाई जाती हैं। बावजूद इसके समस्या आम है। लिहाजा, परिषद ने बच्चों के मल की जांच कराने का निर्णय किया है।

संस्था को सौंपा जिम्मा विभाग ने नमूनों की जांच एवं नमूना संग्रहण के लिए डीवर्म द वल्र्ड इनिशिएटिव संस्थान को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है। संस्था सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले 50-50 बच्चों के मल के नमूने एकत्र करेगी। संबंधित स्कूल के शिक्षक संस्था के प्रतिनिधियों के साथ बच्चों के घर जाएंगे और अभिभावकों की सहमति लेकर नमूने एकत्र कराएंगे। राज्य के 25 जिलों में ये सर्वे होगा। हाड़ौती में सिर्फ बूंदी व कोटा जिले का चयन किया गया है।

विरोध में उतरे शिक्षक

- बच्चों के मल के नमूने लेने संबंधी जो आदेश निकाला है, वह व्यावहारिक नहीं है। पहले से ही शिक्षक कई गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे हैं। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग को देखना चाहिए। शिक्षक संगठन इसका विरोध करता है। 

-अशोक नागर, जिला कोषाध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय

- शिक्षकों से ऐसे कार्य करवाना व्यावहारिक नहीं है। ऐसे गैर शैक्षणिक कार्यों से शिक्षक अपने मूल कार्य से भटक रहे हैं। मल के नमूने लेने संबंधी कार्यों की जिम्मेदारी भी चिकित्सा विभाग को सौंपनी चाहिए। 

-गुलाम जिलानी सभाध्यक्ष शिक्षक संघ शेखावत कोटा

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