Rajasthan Bus Operators / राजस्थान में निजी बस ऑपरेटर्स का 24 घंटे का अल्टीमेटम, 'चक्का जाम' की तैयारी

राजस्थान में निजी बस ऑपरेटर्स ने सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. जयपुर में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो सभी तरह की बसें बंद कर 'चक्का जाम' किया जाएगा. इससे लाखों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.

राजस्थान में निजी बस संचालकों की हड़ताल खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार को जयपुर में सभी तरह की बसों के मालिकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ा और कड़ा निर्णय लिया गया. इस बैठक में ऑपरेटर्स ने सरकार को स्पष्ट रूप से 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो राज्य भर में सभी तरह की बसें बंद कर 'चक्का जाम' किया जाएगा. यह कदम लाखों यात्रियों के लिए गंभीर परेशानी का सबब. बन सकता है, जो रोजाना बसों पर निर्भर रहते हैं.

आंदोलन की पृष्ठभूमि और ऑपरेटर्स की मुख्य मांगें

निजी बस ऑपरेटर्स का यह आंदोलन परिवहन विभाग द्वारा बसों में किए. जा रहे मॉडिफिकेशन को लेकर शुरू हुई कार्रवाई के विरोध में है. ऑपरेटर्स का कहना है कि हजारों बसों में एक साथ बदलाव करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है और इसके लिए उन्हें पर्याप्त समय मिलना चाहिए. उनकी मुख्य मांग है कि परिवहन विभाग को बसों में सुधार के लिए कम से कम तीन महीने का समय देना चाहिए. ऑपरेटर्स का आरोप है कि विभाग के वर्तमान आदेशों और कार्रवाई से बस मालिकों. पर अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. वे सुरक्षा मानकों का ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन आरटीओ द्वारा 2 लाख रुपये का भारी-भरकम चालान बनाया जाना गलत मानते हैं.

सरकार के साथ वार्ता विफल

इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए बस संचालकों के एक. प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के दौरान ऑपरेटर्स ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, लेकिन दुर्भाग्यवश, इस बैठक से कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया. मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद भी जब कोई सकारात्मक परिणाम नहीं. आया, तो एसोसिएशन ने डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा से भी मुलाकात की. हालांकि, डिप्टी सीएम के साथ हुई वार्ता भी बेनतीजा रही, जिसके चलते बस ऑपरेटर्स ने अपनी हड़ताल जारी रखने की घोषणा की और सरकार और ऑपरेटर्स के बीच बातचीत की विफलता ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है.

एकजुटता का आह्वान और भविष्य की रणनीति

मंगलवार को हुई बैठक में सभी बस ऑपरेटर्स ने एकजुट रहने का आह्वान किया और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस कठिन समय में सभी को मिलकर खड़ा रहना होगा ताकि सरकार पर उनकी मांगों को मानने का दबाव बनाया जा सके. ऑपरेटर्स ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार उनकी व्यावहारिक मांगों का कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकालती, तब तक वे अपने आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे. परिवहन विभाग के खिलाफ आंदोलन को और तेज करने पर भी इस बैठक में सहमति बनी है, जिससे आने वाले दिनों में राज्य में परिवहन व्यवस्था और बाधित हो सकती है.

यात्रियों पर संभावित प्रभाव

यदि निजी बस ऑपरेटर्स अपनी चेतावनी के अनुसार 'चक्का जाम' करते. हैं, तो इसका सीधा और गंभीर असर लाखों आम यात्रियों पर पड़ेगा. राजस्थान में बड़ी संख्या में लोग रोजाना यात्रा के लिए निजी बसों पर निर्भर रहते हैं, खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में जहां सार्वजनिक परिवहन के अन्य विकल्प सीमित होते हैं और स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, काम पर जाने वाले कर्मचारी और अन्य दैनिक यात्री बुरी तरह प्रभावित होंगे. आवश्यक सेवाओं और व्यापारिक गतिविधियों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होने की आशंका है और सरकार और ऑपरेटर्स के बीच जल्द समाधान न निकलने पर यह स्थिति और भी विकट हो सकती है.