गहलोत सरकार का फैसला / रामनवमी पर मंदिरों में रामायण और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड के पाठ होगा, तैयारी शुरू

Zoom News : Apr 09, 2022, 12:25 PM
तुष्टीकरण के आरोप में घिरी गहलोत सरकार पहली बार रामनवमी पर रामायण और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ मंदिरों में कराएगी। देवस्थान विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। विभाग के आयुक्त कर्ण सिंह ने सभी जिलों के सहायक आयुक्तों से जिलों के प्रत्यक्ष प्रभार वाले दो मंदिरों की सूची मांगी है, जहां रामायण और सुंदरकांड का पाठ किया जा सकता है। इन मंदिरों में कल 10 अप्रैल को रामायण और 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर सुंदरकांड के पाठ के लिए आवश्यक व्यवस्था की गई है। 

दरअसल, करौली में बिगड़े सांप्रदायिक सोहार्द्र और कई जिलों में लगाई गई धारा-144 के बीच गहलोत सरकार ने प्रदेशभर में रामायण और सुंदरकांड का पाठ कराने का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकार रामनवमी पर रामायण और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ कराएगी। सरकार ने इसके लिए सभी जिलों के देवस्थान विभाग से दो-दो मंदिरों की सूची मांगी है, जहां पाठ कराए जाएंगे। देवस्थान विभाग की ओर से इसके लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।

इस तरह के आयोजन पहली बार 

देवस्थान विभाग की ओर से मार्च के पहले सप्ताह में महाशिवरात्रि के अवसर पर जयपुर के दो मंदिरों में भागवत कथा का आयोजन सरकार के देवस्थान विभाग की ओर से कराया गया था। इससे पहले भागवत गीता का पाठ भी कराया गया था। अब विभाग की ओर से रामायण और सुंदरकांड का पाठ भी करवाया जाएगा। इस संबंध में देवस्थान विभाग के आयुक्त करण सिंह ने सभी संभागों के सह आयुक्तों से सरकार के स्वामित्व वाले दो-दो मंदिरों की सूचि मांगी है। 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन रामायण और 16 अप्रैल हनुमान जयंती पर सुंदरकांड के पाठ का आयोजन कराया जाएगा। 

बजट नहीं किया गया जारी 

बता दें कि देवस्थान विभाग कई साल पहले से बना हुआ है, लेकिन विभाग की ओर से सार्वजनिक रूप से कभी ऐसे धार्मिक कथाओं का आयोजन नहीं करवाया गया था। पहली बार विभाग की ओर से इस तरह की पहल की जा रही है। उधर, विभाग के आयुक्त करण सिंह ने पाठ कराने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन विभाग की ओर से अब तक बजट जारी नहीं किया गया है। 

दानदाताओं से संपर्क कर रहे विभाग के अफसर 

जानकारी के अनुसार सरकारी के स्वामित्व वाले कई मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों में है। इन मंदिरों में चढावा भी नाम मात्र का आता है। ऐसे में विभाग के अधिकारियों के अपने स्तर पाठ कराने होंगे। इस कारण देवस्थान विभाग के अफसर दानदातों और ट्रस्ट संचालकों से संपर्क कर रहे हैं, ताकि मंदिरों में रामायण और सुंदरकांड के पाठ का आयोजन कराया जा सके। आयोजन से पूर्व पोस्टर्स और होर्डिंग भी लगाने होंगे। धार्मिक आयोजन कराने वाले आयोजकों के अनुसार एक आयोजन में कम से कम 20-25 हजार रुपये खर्च होंगे। 

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