AMAR UJALA : Jul 07, 2020, 08:49 AM
India-China: एलएसी पर भारत और चीन का तनाव भले कम होता दिख रहा हो, मगर द्विपक्षीय रितों में बनी दूरी फिलहाल कम नहीं होगी। चीन को भारत आर्थिक मोर्चे पर भविष्य में भी तनाव देना जारी रखेगा, जिससे चीन एलएसी पर विवाद खड़ा करने से पहले कई बार सोचे।उच्चपदस्थ सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीनी सेना के हटने के बावजूद भारत आर्थिक मोर्चे पर चीन के प्रति भविष्य में नरमी नहीं बरतेगा। निर्माण कंपनियों को ठेके या डिजिटल में चीनी कंपनियों के मोर्चे पर पुराना रुख कायम रहेगा।भारत की रणनीति आर्थिक मोर्च पर चीन के खिलाफ निर्णय की प्रक्रिया कम करने की नहीं बल्कि भविष्य में धीरे—धीरे बढ़ाने की है। ऐसे में चीनी एप के खिलाफ प्रतिबंध सहित आर्थिक फैसलों पर भारत पुनर्विचार नहीं करेगा। क्या है यह रणनीतिसूत्र के मुताबिक आजादी के बाद से अब तक चीन ने बिना वजह भारत के लिए परेशानी पैदा की है। भारत इस बार चीन को ताकत का अहसास कराकर तनाव पैदा करने की चीन की रणनीति पर लंबे समय तक विराम लगाना चाहता है। आर्थिक-कूटनीतिक क्षेत्र में चीन को संदेश देना चाहता है कि अब बेवजह निशाना बनाने, तनाव पैदा करने पर उसे बड़ी कीमत चुकानी होगी। भारत की रणनीति एलएसी पर तेजी से निर्माण कार्य जारी रखने की भी है। कूटनीतिक रुख भी नहीं बदलेगा भारतभारत कूटनीतिक मोर्चे पर भी बदलाव लाने के मूड में नहीं है। दक्षिण चीन सागर, हॉन्गकॉन्ग, वन रोड वन बेल्ट परियोजना के प्रति विरोधी रुख जारी रहेगा। भारत कोरोना व अन्य मामलों में चीन को अलग-थलग करने में भूमिका निभाता रहेगा। भारत संदेश देना चाहता है कि वह तनाव पैदा करने की स्थिति में उसके लिए वैश्विक स्तर पर परेशानी पैदा करने के किसी विकल्प को जाने नहीं देगा।लंबे समय बाद क्यों सामने आए डोभालशुरुआत में भारत ने शीर्ष कूटनीतिक पहल नहीं करने की रणनीति बनाई थी। यह संदेश देने की कोशिश की जा रही थी कि भारत दबाव में नहीं है। खुद को सैन्य स्तर तक सीमित रखा। सीमा विवाद समिति को भी बातचीत से अलग रखा। इससे चीन दबाव में आता गया। इस बीच बाह्य मोर्चे पर अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, आस्ट्रेलिया जैसे देशों से घिरने और भारत को घेरने की रणनीति पर जब चीन विफल हुआ तभी भारत ने डोभाल को आगे किया।पर्दे के पीछे भूमिका निभा रहे थे डोभालदो महीने से तनाव के बावजूद एनएसए डोभाल सामने नहीं आए। हालांकि पर्दे के पीछे कूटनीतिक रणनीति डोभाल ही बना रहे थे। डोभाल ने ही विवाद की शुरुआत में डोकलाम जैसी रणनीति बनाई। इसके तहत चीन को दबाव में लाने की रणनीति डोभाल की ही थी। यही कारण है कि चीन डोकलाम की तरह ही इस बार भी भारत के दबाव में आया।