Jansatta : Aug 21, 2019, 05:58 PM
नैचुरल गैस के दामों में कमी के चलते देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी के करीब 29,000 करोड़ रुपए के निवेश पर खतरे के बादल मंडरा गए हैं। बता दें कि मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज ने साल 2012 में ऐलान किया था कि कंपनी रिफाइनरी से बचे उत्पादों, पेट्रोलियम कोक और पेटकोक को गैस में तब्दील करेगी। इसके लिए कंपनी ने 29,000 करोड़ रुपए की लागत से गैसीफायर मशीनें लगाने का फैसला किया। कंपनी की योजना थी कि सस्ते पेट्रोलियम कोक और पेटकोक उत्पादों से गैस बनाकर कंपनी अपनी जामनगर रिफाइनरी को मुनाफे में ला सकेगी।हालांकि अब कंपनी की यह योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है, क्योंकि दुनियाभर में LNG के दामों में ही भारी गिरावट आ गई है। इससे रिलायंस के निवेश की व्यवहारिकता फिलहाल खत्म हो गई है। गौरतलब है कि रिलायंस की यह अहम योजना (Gasification) ऐलान के 3 साल बाद शुरू हो सकी। अब जब रिफाइनरी के अपशिष्ट पदार्थों से गैस बनाने की रिलायंस की योजना अपने अंतिम चरण में पहुंच रही है, तब अत्यधिक गैस की सप्लाई के चलते वैश्विक बाजार में LNG के दामों में भारी गिरावट आ गई है।ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के फाइनेंस से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि अब गैस के दामों में गिरावट के चलते गैसीफिकेशन की योजना व्यवाहरिक नहीं रही है। रिलायंस का विचार था कि इस योजना से जामनगर रिफाइनरी को प्रति बैरल 2 डॉलर का फायदा होगा, लेकिन मुंबई बेस्ड ब्रोकरेज फर्म सेंट्रम ब्रोकिंग लिमिटेड ने दावा किया है कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बीच जामनगर रिफाइनरी को इस योजना से सिर्फ 1.30 डॉलर से लेकर 1.50 डॉलर प्रति बैरल का ही फायदा हो सकेगा।बता दें कि वैश्विक बाजार में LNG की कीमत साल 2012 में 15 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट था, जो कि आज के समय में 5 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट तक पहुंच गए हैं। कंपनी हालांकि आने वाले वक्त में अपने प्रोजक्ट से फायदा मिलने के प्रति आशान्वित है।