Nepal-China / रिपोर्ट में दावा! पीएम ओली को रिश्वत देकर नेपाल पर कब्ज़ा कर रहा है चीन

News18 : Jul 13, 2020, 04:13 PM
काठमांडू। चीन (China) पर लगातार निवेश के जरिए कमजोर अर्थव्यवस्था के देशों की नीतियों को प्रभावित कर फायदा उठाने के आरोप लगते रहे हैं। श्रीलंका (Sri Lanka) और मलेशिया (Malaysia) में चीन की ऐसी हरक़तों के पक्के सबूत भी सामने आए हैं। अब ग्लोबल वॉच एनालिसिस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाल (Nepal) में भी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली(KP Sharma Oli) के जरिए चीन ने इसी तरह की घुसपैठ की है। रिपोर्ट में ओली पर चीन से रिश्वत लेने के भी आरोप लगाए गए हैं। आरोप लगाया लगाया गया है कि ओली की संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ है और दूसरे देशों में भी उन्होंने काफी प्रॉपर्टीज खरीद रखीं हैं जिसके बदले में उन्होंने चीन के बिजनेस प्लान को नेपाल में लागू कराया है।

इस रिपोर्ट के मुताबिक पीएम ओली का स्विट्जरलैंड के जेनेवा स्थित मिराबॉड बैंक में भी अकाउंट है। इस अकाउंट में 5।5 मिलियन डॉलर(करीब 41।34 करोड़ रु।) जमा हैं। उन्होंने यह रकम लॉन्ग टर्म डिपॉजिट और शेयर्स के तौर पर इन्वेस्ट की हुई है। इससे ओली और पत्नी राधिका शाक्य को सालाना करीब 1।87 करोड़ रु। का मुनाफा भी मिल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ नेपाल ही नहीं चीन दुनिया के कई गरीब देशों में इसी तरह भ्रष्ट नेताओं की मदद से कब्जा जमा रहा है। चीन इन नेताओं के जरिए पहले चीनी कंपनियों को इन देशों में एंट्री दिलाता है फिर राजनीति को प्रभावित करने लगता है और देश आर्थिक नीतियों को अपने फायदे के हिसाब से ही लागू करवाता है।

ओली पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप!

इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ओली ने साल 2015-16 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान कंबोडिया के टेलीकॉम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश किया था। इसमें उस समय नेपाल में चीन के राजदूत रहे वी चुन्टई ने उनकी मदद की। ये सौदा ओली के करीबी और नेपाली बिजनेसमैन अंग शेरिंग शेरपा ने तय किया था। इसमें कंबोडिया के प्रधानमंत्री हूं सेन और चीनी डिप्लोमैट फेनम पेन्ह और बो जियांगेओ ने भी मदद की थी। इसके आलावा ओली पर उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। नियमों को ताक पर रखते हुए उन्होंने दिसंबर 2018 में डिजिटल एक्शन रूम बनाने का करार चीनी टेलिकॉम कंपनी हुवावे को दिया।

मई 2019 में नेपाल टेलिकम्युनिकेशन ने हॉन्कॉन्ग की एक चीनी कंपनी के साथ रेडियो एक्सेस नेटवर्क तैयार करने का करार किया। इसी साल चीन की कंपनी जेटीई के साथ कोर 4 जी नेटवर्क लगाने का सौदा भी हुआ। यह दोनों प्रोजेक्ट 130 मिलियन यूरो(करीब 1106 करोड़ रुपए) की लागत से पूरे किए जाने थे, हालांकि इनके ठेके देने के प्रोसीजर पर भी सवाल उठे थे। पिछले महीने ही नेपाल ने 621 करोड़ रुपए की लागत से कोरोना के लिए प्रोटेक्टिव गियर्स और टेस्टिंग इक्विपमेंट खरीदे थे लेकिन इनमें से ज्यादातर खराब थे। ये भी चीन से खरीदे गए थे जिसके विरोध में राजधानी काठमांडू में प्रदर्शन भी हुआ।


नेपाल-विरोधी कार्यक्रम के प्रसारण रोके भारत

उधर नेपाल ने भारत को एक 'राजनयिक टिप्पणी' भेजी है और अपने देश तथा नेताओं के खिलाफ ऐसे कार्यक्रमों के प्रसारण पर कदम उठाने का अनुरोध किया है जो उसके मुताबिक 'फर्जी, आधारहीन और असंवेदनहीन होने के साथ ही अपमानजनक' हैं। नेपाल ने भारतीय मीडिया के एक वर्ग पर इस तरह के कार्यक्रमों के प्रसारण का आरोप लगाया है। नेपाल ने गुरूवार को दूरदर्शन के अलावा सभी भारतीय निजी चैनलों के प्रसारण पर रोक लगा दी थी।


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