नॉलेज / शोध ने बताया, दूसरे शब्दों की तुलना में क्यों ज्यादा याद हो जाते हैं कुछ शब्द

News18 : Jul 11, 2020, 05:06 PM
Delhi: हमारे दिमाग (Brain) में हजारों तरह के शब्द (Words) जमा हैं। जब हमें उनकी जरूरत होती है तो वे हमारे मुंह से ठीक समय पर फौरन बाहर आ जाते हैं। हाल ही में मिर्गी के कुछ स्वस्थ्य स्वयंसेवकों पर एक अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि हमारा दिमाग कुछ शब्द दूसरे शब्दों के मुकाबलों को आसानी से दिमाग से उपयोग में ले लेता है। अंग्रेजी के शब्दों को लेकर हुए इस शोध में टैंक, डोर, पिग जैसे शब्द आसानी से उपयोग में लाने की श्रेणी में पाए गए, जबकि उसकी तुलना में कैट, स्ट्रीट, स्टेअर जैसे शब्त उतनी आसानी से दिमाग उपयोग में नहीं लाता।


किन बातों पर हुए शोध

याद्दाश्त के कुछ टेस्ट, दिमाग की तरंगों की रिकॉर्डिंग, किताबो में प्रकाशित अरबों शब्दों पर हुए सर्वे, नए लेखों और इंटरनेट एनसाइक्लोपीडिया को मिला कर हुए इस अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि कैसे हमारा दिमाग इन शब्दों को वापस याद कर उपयोग में लाता है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि दिमाग कैसे पुरानी घटनाओं के अनुभव की यादों को वापस याद कर पाता है।


सर्च इंजन की तरह काम करता है हमारा दिमाग

एनाईएच के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स एंड स्ट्रोक के मेनोविशेषज्ञ और इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता वेइजहेन जेन शी ने बताया कि उन्होंने पाया कि कुछ शब्द दूसरे शब्दों के मुकाबले ज्यादा आसानी से याद किए जा सकते हैं।  हमारे नतीजे इस बात का समर्थन करते हैं कि हमारे दिमाग की याद्दाश्त हमारे न्यूरल नेटवर्क से तारों के जैसे जुड़ी है। और दिमाग यादों को बिलकुल वैसे ही ढूंढता है जैसे की कोई सर्च इंजन इंटरनेट पर जानकारी ढूंढते हैं।


कैसे किया गया यह अध्ययन

यह अध्ययन नेचल ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित हुआ है। शी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि उनके अध्ययन से लोगों की याद्दाश्त और दिमाग के स्वास्थ्य का आंकलन करने में मददगार साबित हो सकती है। डॉ शी और उनके साथियों ने पहले उन शब्दों की तब पहचान की जब उन्होंने 30 मिर्गी के मरीजों के एक मेमोरी टेस्ट के नतीजों का फिर से विश्लेषण किया


क्या था वह टेस्ट

इन मरीजों की पहले से ही इस क्लीनिकल ट्रायल में मदद की  जा रही थी जिससे उन्हें दवाइयों से दौरा को नियंत्रित करने में मदद मिले। इसके लिए उन्हें एक विशेष अवलोकन काल में रखा गया था जहां उनकी दिमागी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। मरीजों को 300  जातिवाचक संज्ञाओं की सूची में कुछ शब्दों के जोड़े दिखाए गए जैसे कि हैंड और एप्पल कुछ समय बाद उन्हें दिखाए गए जोड़ों में से केवल एक दिखाकर उसके दूसरे जोड़ीदार शब्द के बारे में पूछा गया।

लोग क्यों भूल जाते हैं जान-पहचान के नाम, वैज्ञानिकों ने पता की इसकी वजह


डॉ शी ने क्या पाया

इस टेस्ट से डॉक्टरों की टीम यह जानना चाहती थी कि दिमाग के न्यूरल सर्किट में यादें कैसे जमा होती हैं और याद दिलाने या याद करने पर वापस आती हैं। डॉ शी ने इन्हीं टेस्ट के नतीजों का फिर से अध्ययन किया। डॉ शी ने पाया कि मरीजों को कुछ शब्द दूसरों की तुलना में ज्यादा आसानी से याद आ रहे हैं जबकि इसका इससे कोई लेनादेना नहीं था कि उनकी जोड़ी किन शब्दों से बनाई गई। कई सालों से वैज्ञानिकों का यह मानना है कि शब्दों के जोड़ो का सफलतापूर्वक याद आने का मतलब है कि व्यक्ति के दिमाग ने सीखने के समय उन शब्दों से ज्यादा संबंध स्थापित किया था


कैसे हुआ इस धारणा का सरलीकरण।

इसी तरह की प्रक्रिया के कारण कुछ यादें लोगों को दूसरों के मुकाबले ज्यादा याद रहती हैं। साथ ही यह व्याख्या करना भी मुश्किल था कि टैंक, डॉल, पाउंड  (Pound) जैसे शब्द आसानी से याद क्यों आ जाते हैं जबकि ज्यादा प्रयोग होने वाले स्ट्रीट, काउट या क्लाउड जैसे शब्द नहीं। लेकिन टीम को 2623 स्वस्थ वॉलेंटियर्स के साथ लिए टेस्ट में भी इसी तरह के नतीजे मिल तब स्थिति साफ हो गई उनके नतीजे केवल मरीजों पर ही लागू नहीं होते।

शोधकर्ता अब इस पर एक कम्प्यूटर मॉडल तैयार कर रहे हैं जिससे एल्जाइमर और उसके जैसे अन्य बीमारियों के इलाज के लिए इस अध्ययन से मदद मिल सके।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER