News18 : Apr 17, 2020, 09:35 AM
बीजिंग। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) लगातार चीन (China) पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने दुनिया के साथ कोरोना वायरस (Coronavirus) से संबंधित सभी जानकारियां साझा नहीं की हैं। अब सामने आया है कि चीन की सरकार ने भी कोरोना वायरस (Covid19) के बारे में जानकारी मिलने के बावजूद 7 दिनों तक इसे फैलने दिया। जानकारी के मुताबिक चीन की सरकार को 14 जनवरी को ही इस बात की जानकारी मिल गयी थी कि कोरोना ने देश में महामारी का रूप ले लिया है लेकिन 7 दिन तक इसका अलर्ट जारी नहीं किया गया।
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने चीनी सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के जरिए खुलासा किया है कि चीन की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने 14 जनवरी को प्रांतीय अधिकारियों को बता दिया था कि नए कोरोना वायरस की वजह से वे महामारी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने सात दिनों तक लोगों को सतर्क नहीं किया। रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने गुप्त रूप से महामारी से निपटने की तैयारियों के आदेश दिए जबकि राष्ट्रीय टेलीविजन के जरिए लोगों को सतर्क नहीं किया गया।
राष्ट्रपति जिनपिंग के 7 दिन बाद लोगों को बताया
खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जानकारी मिलने के बावजूद सातवें दिन यानी 20 जनवरी को लोगों को इस संक्रमण के प्रति आगाह किया। पूर्व प्रभावी संक्रमण आंकड़ों के मुताबिक तब तक करीब एक हफ्ते की चुप्पी के कारण तीन हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे। चीन के रोग नियंत्रण केंद्र ने स्थानीय अधिकारियों से प्राप्त किसी मामले को रजिस्टर नहीं किया, इसकी पुष्टि एपी को प्राप्त आंतरिक बुलेटिन से होती है। पांच जनवरी से 17 जनवरी के दौरान अस्पतालों में सैकड़ों रोगी भर्ती हो रहे थे जो न केवल वुहान में बल्कि पूरे देश में ऐसा हो रहा था।वुहान के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की बात नहीं सुनी गई
वुहान में डॉक्टरों एवं नर्सों ने कहा कि इस तरह के कई संकेत हैं कि दिसंबर 2019 के अंत तक कोरोना वायरस लोगों के बीच फैलेगा। लेकिन अधिकारियों ने इस तरह के मामले बताने वाले मेडिकल कार्यकर्ताओं की आवाज दबा दी। सूचना को ऊपर भेजने से पहले निरीक्षकों को कर्मचारियों द्वारा रिपोर्ट देना जरूरी था। और बीमारी के बारे में चेतावनी देने वाले डॉक्टरों को उन्होंने सजा भी दी।अधिकारियों ने शीर्ष नेताओं को अंधेरे में रखा!
नीचे के अधिकारियों द्वारा चेतावनी को दबाए जाने से शीर्ष के नेता अंधेरे में रहे। चीन के बाहर संक्रमण का पहला मामला 13 जनवरी को थाईलैंड में आया जिससे बीजिंग में नेतृत्व को महामारी की संभावना का आभास हुआ। चीन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी मा शियावेई ने कहा कि वायरस के विदेशों में फैलने के बाद चीन को मजबूरी में कदम उठाने पड़े।मा शियावेई ने 14 जनवरी को एक गुप्त टेलीकांफ्रेंस भी की जिससे पता चलता है कि चीन के अधिकारी काफी चिंतित थे और जनता को जो जानकारी दी उससे कहीं अधिक भवायह स्थिति का आकलन कर रहे थे। कुछ हफ्ते तक अधिकारी यही दोहराते रहे कि 'मानव से मानव में संक्रमण का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है' और बीमारी को 'रोकने योग्य एवं नियंत्रण योग्य' हो चुका है। हालांकि इसी टेलीकांफ्रेंसिंग में मा ने पहली बार माना कि 'क्लस्टर मामलों से पता चलता है कि मानव से मानव में संचरण संभव है।'
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने चीनी सरकार के आंतरिक दस्तावेजों के जरिए खुलासा किया है कि चीन की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने 14 जनवरी को प्रांतीय अधिकारियों को बता दिया था कि नए कोरोना वायरस की वजह से वे महामारी जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने सात दिनों तक लोगों को सतर्क नहीं किया। रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने गुप्त रूप से महामारी से निपटने की तैयारियों के आदेश दिए जबकि राष्ट्रीय टेलीविजन के जरिए लोगों को सतर्क नहीं किया गया।
राष्ट्रपति जिनपिंग के 7 दिन बाद लोगों को बताया
खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जानकारी मिलने के बावजूद सातवें दिन यानी 20 जनवरी को लोगों को इस संक्रमण के प्रति आगाह किया। पूर्व प्रभावी संक्रमण आंकड़ों के मुताबिक तब तक करीब एक हफ्ते की चुप्पी के कारण तीन हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे। चीन के रोग नियंत्रण केंद्र ने स्थानीय अधिकारियों से प्राप्त किसी मामले को रजिस्टर नहीं किया, इसकी पुष्टि एपी को प्राप्त आंतरिक बुलेटिन से होती है। पांच जनवरी से 17 जनवरी के दौरान अस्पतालों में सैकड़ों रोगी भर्ती हो रहे थे जो न केवल वुहान में बल्कि पूरे देश में ऐसा हो रहा था।वुहान के डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की बात नहीं सुनी गई
वुहान में डॉक्टरों एवं नर्सों ने कहा कि इस तरह के कई संकेत हैं कि दिसंबर 2019 के अंत तक कोरोना वायरस लोगों के बीच फैलेगा। लेकिन अधिकारियों ने इस तरह के मामले बताने वाले मेडिकल कार्यकर्ताओं की आवाज दबा दी। सूचना को ऊपर भेजने से पहले निरीक्षकों को कर्मचारियों द्वारा रिपोर्ट देना जरूरी था। और बीमारी के बारे में चेतावनी देने वाले डॉक्टरों को उन्होंने सजा भी दी।अधिकारियों ने शीर्ष नेताओं को अंधेरे में रखा!
नीचे के अधिकारियों द्वारा चेतावनी को दबाए जाने से शीर्ष के नेता अंधेरे में रहे। चीन के बाहर संक्रमण का पहला मामला 13 जनवरी को थाईलैंड में आया जिससे बीजिंग में नेतृत्व को महामारी की संभावना का आभास हुआ। चीन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी मा शियावेई ने कहा कि वायरस के विदेशों में फैलने के बाद चीन को मजबूरी में कदम उठाने पड़े।मा शियावेई ने 14 जनवरी को एक गुप्त टेलीकांफ्रेंस भी की जिससे पता चलता है कि चीन के अधिकारी काफी चिंतित थे और जनता को जो जानकारी दी उससे कहीं अधिक भवायह स्थिति का आकलन कर रहे थे। कुछ हफ्ते तक अधिकारी यही दोहराते रहे कि 'मानव से मानव में संक्रमण का कोई स्पष्ट साक्ष्य नहीं है' और बीमारी को 'रोकने योग्य एवं नियंत्रण योग्य' हो चुका है। हालांकि इसी टेलीकांफ्रेंसिंग में मा ने पहली बार माना कि 'क्लस्टर मामलों से पता चलता है कि मानव से मानव में संचरण संभव है।'