दुनिया / सऊदी अरब बना बाइडन की दुविधाः वादा निभाएं या देश को नुकसान में डालें

Zoom News : Feb 28, 2021, 10:15 PM
सऊदी अरब | पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट में सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान को दोषी बताए जाने के बावजूद सऊदी अरब पर कोई कार्रवाई ना करने के जो बाइडन प्रशासन के फैसले की देश और विदेश में कड़ी आलोचना हुई है। इससे दबाव में आए बाइडन प्रशासन ने कहा है कि इस बारे में सोमवार को यह एक बयान जारी करेगा। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस मामले में अमेरिकी प्रशासन के सामने बड़ी दुविधा खड़ी है। सऊदी अरब पश्चिम एशिया में अमेरिकी रणनीति का खास हिस्सा है। उसे एक सीमा से ज्यादा नाराज करना अमेरिका के लिए संभव नहीं है। 

खुफिया रिपोर्ट में पहले से चर्चित इस बात की पुष्टि की गई कि युवराज सलमान ने खशोगी की हत्या का आदेश दिया था। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सऊदी अरब में निर्णय प्रक्रिया पर युवराज का पूरा नियंत्रण है। यानी वह देश के असली शासक हैं। अमेरिकी रिपोर्ट से प्रिंस सलमान खासे नाराज बताए जाते हैं। अमेरिकी रिपोर्ट जारी होने के बाद सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा- यह रिपोर्ट अनुचित और गलत नतीजों पर पहुंची है। इसमें ध्यान दिलाया गया कि सऊदी अरब ने खशोगी की हत्या की कड़े शब्दों में निंदा की थी।

पश्चिम एशिया से संबंधित मीडिया रिपोर्टों में सऊदी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि सऊदी अरब दुनिया में खराब हुई अपनी छवि से चिंतित है। प्रिंस सलमान ने देश की छवि सुधारने के लिए ही कई सुधार योजनाएं लागू की हैं। इनमें महिलाओं को अधिक आजादी देना भी शामिल है, लेकिन खशोगी की हत्या, यमन के युद्ध में सऊदी अरब की भूमिका, और शाही परिवार से जुड़े 200 लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप में हुई कार्रवाई ने प्रिंस सलमान की तमाम कोशिशों पर पानी फेर दिया है।

प्रिंस सलमान ने देश की अर्थव्यवस्था में कच्चे तेल के अलावा दूसरे स्रोतों को भी शामिल करने, अधिक नौकरियां पैदा करने और सामाजिक नजरिए को उदार बनाने के लिए कई पहल की है। उन्होंने अपनी योजनाओं को ‘विज़न- 2030’ नाम दिया है, लेकिन विश्व मीडिया में इन बातों से ज्यादा चर्चा खशोगी हत्याकांड और यमन के युद्ध की रही है।

जो बाइडन ने राष्ट्रपति चुनाव में खशोगी हत्याकांड में जवाबदेही तय करने की बात कही थी। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने यमन के युद्ध में अमेरिका का रुख पलटने के अलावा सऊदी अरब के खिलाफ कुछ अन्य कदम भी उठाए हैँ। इनमें 76 सऊदी नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का एलान भी शामिल है। इन लोगों पर आरोप है कि यह सऊदी अरब के शाही परिवार से असंतुष्ट लोगों को धमकाते रहे हैँ। उधर, अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने सऊदी अरब के पूर्व खुफिया प्रमुख पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। जानकारों का कहना है कि इससे अधिक सख्त कार्रवाई की अमेरिका को ज्यादा महंगी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

रणनीति विशेषज्ञों के मुताबिक सऊदी अरब की सक्रिय भागीदारी के बिना ईरान की ताकत को संतुलित रखने की अमेरिकी योजना मुश्किल में पड़ जाएगी। साथ ही इस इलाके में अमेरिका के सैनिक प्रभाव में गिरावट आ सकती है। दूसरी तरफ सऊदी अरब अमेरिका के विरोधी देशों चीन और रूस के करीब जा सकता है, जिससे उन देशों के लिए पश्चिम एशिया में ज्यादा अनुकूल स्थितियां बन जाएंगी। जानकारों का कहना है कि इन्हीं वजहों से बाइडन प्रशासन प्रिंस सलमान पर प्रतिबंध लगाने से हिचक रहा है।

हालांकि, इस वजह से जो बाइडन की आलोचना खुद उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के कई नेताओं ने की है। इनमें कुछ सांसद भी हैं। दूसरी तरफ रिपोर्ट जारी करने भर से सऊदी अरब ने खुलकर अपनी नाराजगी जता दी है। अमेरिकी मीडिया में छपी रिपोर्टों के मुताबिक सऊदी अरब ने अपने बयान में जितने कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया, उसकी अपेक्षा अमेरिका को नहीं थी।

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