निर्भया केस: / दोषी मुकेश की याचिका पर SC में सुनवाई पूरी, कल आ सकता है फैसला

AajTak : Jan 28, 2020, 04:22 PM
दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई है और इस पर कल फैसला आ सकता है। दया याचिका खारिज करने के खिलाफ कोर्ट में दायर याचिका में मुकेश ने डेथ वारंट को निरस्त करने की मांग की है और इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना शामिल हैं।

मुकेश ने अपने हलफनामे में यह भी दावा किया कि उसने रेप नहीं किया था, लेकिन वह घटना के दौरान वहां मौजूद था। साथ ही यह भी कहा कि उसके साथ यौन शोषण भी हुआ था।

सुनवाई के दौरान मुकेश की ओर से पेश वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि 14 तारीख को दया याचिका दायर की गई और 17 तारीख को फैसला आ गया। संविधान के मुताबिक जीने का अधिकार और आजादी सबसे महत्वपूर्ण है। उसने कहा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसकी दया याचिका का निपटारा करने में बेवजह जल्दी दिखाई। राष्ट्रपति के फैसले की भी न्यायिक समीक्षा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए मुकेश की वकील से पूछा कि आपको बहस करने के लिए कितना समय चाहिए। इस पर वकील ने कहा 1 घंटा। कोर्ट ने इस पर ऐतराज जताया तो वकील ने कहा कि हम आधे घंटे में बहस पूरी कर लेंगे।

'सभी पहलुओं पर गौर हो'

मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कहा,  'सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक राष्ट्रपति को किसी दया याचिका पर विचार करते समय आपराधिक मामले के सभी पहलुओं पर गौर करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक फैसला लेना चाहिए।' इस दलील के बाद मुकेश की वकील ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने जजमेंट को भी पढ़ा।

मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि ये दुख की बात है कि निर्भया केस के दोषियों को 2014 में लीगल एड दी गई। यहां तक कि दया याचिका खारिज होने से पहले ही काल कोठरी (अकेले जेल में) रख दिया गया। ये जेल मैन्युअल के खिलाफ है।

वकील की ओर से कहा गया कि कोर्ट सारी मेरिट पर विचार कर चुका है। हम सिर्फ दया याचिका खारिज करने में विवेक के इस्तेमाल ना करने की बात पर ही विचार कर सकते हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि आप कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रपति के सामने पूरे दस्तावेज नहीं रखे गए?

वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि हमे RTI के जरिए यह जानकारी मिली है जिसमें पता चला है कि निचली अदालत का फैसला राष्ट्रपति के सामने नहीं रखा गया। जबकि सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने सभी दस्तावेज राष्ट्रपति के पास भेज दिए थे। सभी वहां रखे भी गए थे।

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