देश / इत्र पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों ने तैयार किया सबसे सस्ता सैनिटाइजर

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार और प्रशासनिक मशीनरी पूरी शिद्दत से जुटी हुई है। ऐसे में कन्नौज जनपद में इत्र पर रिसर्च के लिये खोला गया सुगन्ध एवं सुरस विकास केंद्र भी इन दिनों कोरोना वायरस से जूझ रहे देश की सेवा में लगा है। देश में सैनेटाइजर की कमी को पूरा करने व लोगों को कम कीमत में उच्च गुणवत्ता वाला सैनेटाइजर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र के वैज्ञानिकों ने ब

News18 : Apr 18, 2020, 03:40 PM
कन्नौज। वैश्विक महामारी (Pandemic) कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार और प्रशासनिक मशीनरी पूरी शिद्दत से जुटी हुई है। ऐसे में कन्नौज जनपद में इत्र पर रिसर्च के लिये खोला गया सुगन्ध एवं सुरस विकास केंद्र (FFDC) भी इन दिनों कोरोना वायरस (COVID-19) से जूझ रहे देश की सेवा में लगा है। देश में सैनेटाइजर (Sanitizer) की कमी को पूरा करने व लोगों को कम कीमत में उच्च गुणवत्ता (High Quality) वाला सैनेटाइजर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र के वैज्ञानिकों ने बहुत कम समय मे बेहद असरकारक सैनेटाइजर बनाया है।

यूं शुरू हुआ सैनेटाइजर निर्माण पर रिसर्च

बता दें कि कन्नौज के एफएफडीसी की प्रायोगिक लैब लघु सूक्ष्म और मध्यम उद्योग मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है। यहां केंद्र के वैज्ञानिक हमेशा इत्र की खुशबू को और बेहतर बनाने व लागत कम करने पर रिसर्च करते रहते हैं, कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में यह केंद्र भी बंद कर दिया गया था, लेकिन इस दौरान केंद्र के वैज्ञानिक यहीं रह गये। लॉकडाउन (Lockdown) होने के बाद जब केंद्र के प्रधान निदेशक शक्ति विनय शुक्ला बताते हैं कि जब उन लोगों को पता लगा कि बाजार में एल्कोहल वाले सैनेटाइजर की भारी कमी हो गयी है तो उन्होंने सैनेटाइजर निर्माण पर रिसर्च शुरू कर दिया। इसके लिये उन्होंने बाकायदा डब्लूएचओ की गाइडलाइंस का गहनता से अध्ययन भी किया। अध्ययन के आधार पर रिसर्च कर आखिर केंद्र के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लायी और बहुत कम कीमत पर बेहद असरकारक सैनेटाइजर तैयार हो गया। केंद्र के वैज्ञानिकों का दावा है कि डब्लूएचओ (WHO) के मानकों के मुताबिक उन्होंने बेहद कम कीमत पर यह सैनेटाइजर तैयार करने में सफलता हासिल की है।

मंत्रालय के निर्देश पर जिला प्रशासन ने की मदद

एफएफडीसी के प्रधान निदेशक शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि जब एफएफडीसी कि लैब में सैनेटाइजर का प्रयोग सफल हो गया तो इसके उत्पादन के लिए रॉ मैटेरियल की किल्लत सामने आयी। जिसके बाद केंद्र के प्रधान निदेशक ने अपने मंत्रालय एमएसएमई (MSME) में बात की। मंत्रालय ने कंन्नौज जिलाधिकारी को एफएफडीसी की मदद का जिम्मा सौंपा। जिसके बाद महज 8 दिनों में सैनेटाइजर की एक बड़ी खेप तैयार कर एफएफडीसी ने कन्नौज जिला प्रशासन को सौंप दी। वो बताते हैं कि केंद्र के वैज्ञानिकों की मेहनत का परिणाम है कि इस वक्त देश के कई प्रतिष्ठित अस्पताल और उत्तर मध्य रेलवे ने सैनेटाइजर की खरीद के लिये उनके केंद्र को ठेका दिया है। केंद्र के पीडी का दावा है कि केंद्र द्वारा बनाया गया सैनेटाइजर दुनिया का सबसे सस्ता और असरकारक है।