सुशांत केस / SC में महाराष्ट्र सरकार का जवाब- CBI को कोर्ट के फैसले तक रोकनी चाहिए थी जांच

AajTak : Aug 09, 2020, 07:36 AM
सुशांत केस: सुशांत सिंह सुसाइड केस में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है। इसमें महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई जांच का विरोध किया है। महाराष्ट्र पुलिस ने कोर्ट में कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो सीबीआई को ना तो केस दर्ज करना चाहिए था और ना ही जांच टीम बनाकर आगे बढ़ना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक सीबीआई को रुकना चाहिए था।

महाराष्ट्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में जांच की प्रगति रिपोर्ट दाखिल की। इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार सरकार ने नियमों के खिलाफ जा कर काम किया। बिहार सरकार के पास केवल जीरो FIR दर्ज करने का अधिकार था। उन्हें FIR दर्ज कर हमारे पास भेजनी चाहिए थी। FIR दर्ज कर बिहार पुलिस ने जांच शुरू कर दी, जिसका उन्हें कोई अधिकार नहीं है।

दाखिल जवाब में कहा गया कि जब जांच ही गैरकानूनी है तो बिहार सरकार CBI जांच की अनुशंसा कैसे कर सकती है। केंद्र ने भी सीबीआई जांच की सिफारिश मान कर गलत किया। बिहार सरकार का सीबीआई जांच की सिफारिश करना उचित नहीं था। केंद्र सरकार का बिहार की अनधिकृत सिफारिश मानना केंद्र-राज्य संबंधों की संवैधानिक मर्यादा के खिलाफ है।

हलफनामा बांद्रा पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर भूषण बेलनेकर ने दायर किया है। उसमें उन्होंने बताया कि 14 जून को दोपहर 2 बजे एक कॉल आया, उन्होंने घटनास्थल और घर का निरीक्षण किया। मृतक का शव बिस्तर पर पड़ा था, सुशांत के घर मीतू सिंह और चार अन्य लोग मौजूद थे। उनके मुताबिक, केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।

हलफनामे में दावा किया गया है कि परिवार के सदस्यों को किसी के खिलाफ कोई संदेह नहीं था और किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी तरह के आरोप नहीं लगाए थे। इसमें यह भी कहा गया है, "यह ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण है कि ये बाद के बयानों के विपरीत पहले दर्ज किए गए कथन हैं, जो कि बाद में दिए गए बयानों के विपरीत हैं, जो स्पष्ट रूप से विचार के बाद दागी हैं।"

अगर परिवार के सदस्यों ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की इच्छा व्यक्त की होती तो पुलिस अधिकारी पटना जाते और उनके बयान दर्ज करते। वहीं, पटना सिटी एसपी को क्वारनटीन करने का कदम बीएमसी ने उठाया था और इसमें पुलिस का हाथ नहीं था।

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