कोरोना वायरस / भारत में मिले 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' के संकेत?

भारत में कोरोना संक्रमण की व्यापकता का पता लगाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक लगातार टेस्टिंग कर रहे हैं। ये जाँच देश के 21 राज्यों के 52 ज़िलों में की गई थी। जिन लोगों के सैम्पल टेस्ट किए गए उनमें से ज़्यादातर पुरुष थे और 50 से अधिक उम्र के SARI मरीज़ थे। चूंकि कोरोना संक्रमण के लक्षण SARI के मरीज़ से काफ़ी मिलते जुलते हैं।

BBC : Apr 10, 2020, 04:25 PM
Coronavirus in India: भारत में कोरोना संक्रमण की व्यापकता का पता लगाने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिक लगातार टेस्टिंग कर रहे हैं। इस तरह की टेस्टिंग का एक उद्देश्य ये होता है कि हम समय रहते पता लगा पाएं कि भारत कोरोना संक्रमण के किस स्टेज में हैं।

ऐसी ही एक रिपोर्ट गुरुवार को ICMR ने जारी की है। इस रिपोर्ट के लिए 5911 सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (SARI) मरीज़ों की जाँच कोरोना संक्रमण के लिए की गई। उनमें से 104 मरीज़ो में कोरोना संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं।

यानी कुल 1.8 फ़ीसदी मामलों में संक्रमण मिला है। ये वो मरीज़ हैं जिनको सांस लेने संबंधी बीमारी थी। पॉज़िटिव पाए गए 104 मरीज़ों में से 40 मरीज़ ना तो विदेश से आए थे, और ना ही कोरोना संक्रमण वालों के कांटेक्ट में। इसलिए ये रिपोर्ट अपने आप में चौकाने वाली है।

ये जाँच देश के 21 राज्यों के 52 ज़िलों में की गई थी। जिन लोगों के सैम्पल टेस्ट किए गए उनमें से ज़्यादातर पुरुष थे और 50 से अधिक उम्र के SARI मरीज़ थे। चूंकि कोरोना संक्रमण के लक्षण SARI के मरीज़ से काफ़ी मिलते जुलते हैं। इसलिए इस जाँच में सरकार फ़िलहाल SARI के मरीज़ों को ही इस दायरे में रख रही है।

हालांकि ICMR ने अपने रिपोर्ट में ना तो कम्युनिटी ट्रांसमिशन का ज़िक्र किया है ना ही स्टेज 3 का, लेकिन रिपोर्ट के बाद ICMR का कहना है कि हॉटस्पॉट एरिया में अब टेस्टिंग को और बढ़ाने की ज़रूरत है।

रिपोर्ट पर ICMR का पक्ष

9 अप्रैल की रिपोर्ट पर बीबीसी ने ICMR के वैज्ञानिक डॉ मनोज मुरहेकर से बात की। डॉ मनोज इस रिपोर्ट की रिसर्च टीम के सदस्य भी हैं। डॉ मनोज मुरहेकर के मुताबिक़, "इसका ये मतलब क़त्तई ना निकाला जाए कि हर जगह अभी कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो गया है। ऐसे पॉज़िटिव मामले जहां भी हमें मिले हैं वो केवल उन जगहों पर हैं जिन्हें हम पहले से हॉटस्पॉट घोषित कर चुके हैं।"

डॉ। मनोज के मुताबिक़ ऐसे मामले केवल 52 ज़िलों तक ही फ़िलहाल सीमित है। आने वाले दिनों में हॉटस्पॉट इलाक़ों में हमें ज़्यादा से ज़्यादा ऐसे मामले देखने को मिलेंगे, जहां कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ ऐसे होगें जिनकी ना तो विदेश की ट्रैवल हिस्ट्री होगी और ना ही ऐसे लोगों के संपर्क में आए होंगे। लेकिन वो फिर भी कोरोना संक्रमित होंगे। और कुछ ऐसा ही हमने अपनी नई स्टडी में पाया हैं।

ये स्टडी 15 फ़रवरी से 2 अप्रैल के बीच की गई है। इस दौरान 5911 लोगों के सैम्पल कलेक्ट किए गए, जिनमें से 104 लोगों को कोरोना संक्रमण पाया गया। ICMR आने वाले दिनों में ज़्यादा टेस्टिंग करने जा रहा है क्योंकि अब भारत में रैपिड टेस्टिंग को मंज़ूरी दे दी गई है। तो क्या ऐसा होने पर, स्टेज 3 में भारत के जाने का ख़तरा ज़्यादा बढ़ जाएगा? इस सवाल के जवाब में डॉ। मनोज कहते हैं, हमने पहले से ही ज़्यादा लोगों की टेस्टिंग शुरू कर दी है।

हर हॉटस्पॉट के लिए जो नया कंटेन्मेंट प्लान केंद्र सरकार ने बनाया है उसके मुताबिक़ जिन इलाक़ों को हॉटस्पॉट चिह्नित किया गया है उनमें हर किसी की टेस्टिंग होगी। 9 अप्रैल 2020 को भारत में तक़रीबन 16000 कोरोना मरीज़ों की जाँच हुई थी जिसमें 320 लोग ही पॉज़िटिव पाए गए थे। एक दिन में होने वाली ये अब तक की सबसे ज़्यादा टेस्टिंग है।

टेस्टिंग रणनीति में बदलाव

भारत में पहला केस आने के बाद से अब तक तक़रीबन 1लाख 45 हज़ार टेस्टिंग हो चुकी है। बाक़ी देशों के मुक़ाबले ये बहुत कम है, लेकिन ICMR अब तक ये दावा करता रहा है कि हमें इससे ज़्यादा टेस्ट करने की ज़रूरत नहीं हैं।

हालांकि 9 अप्रैल को ही ICMR ने टेस्टिंग को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस नई टेस्टिंग की रणनीति से हर हफ्ते 80 हज़ार से 1 लाख के बीच लोगों की टेस्टिंग हो पाएगी।

क्या है कम्युनिटी ट्रांसमिशन

आईसीएमआर के अनुसार कोरोना वायरस फैलने के चार चरण हैं। पहले चरण में वे लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जो दूसरे देश से संक्रमित होकर भारत में आए। यह स्टेज भारत पार कर चुका है क्योंकि ऐसे लोगों से भारत में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल चुका है।

दूसरे चरण में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलता है, लेकिन ये वे लोग होते हैं जो किसी ना किसी ऐसे संक्रमित शख़्स के संपर्क में आए जो विदेश यात्रा करके लौटे थे। तीसरा और थोड़ा ख़तरनाक स्तर है 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' का, जिसे लेकर भारत सरकार चिंतित है।

कम्युनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी ज्ञात संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए बिना या वायरस से संक्रमित देश की यात्रा किए बिना ही इसका शिकार हो जाता है। इस रिपोर्ट में पहली बार किसी सरकार की एजेंसी ने स्वीकार किया है कि 100 से अधिक मामले ऐसे हैं जो ना तो विदेश से आए हैं और ना ही वहां से आने वालों के संपर्क में आए हैं।

तो इसका मतलब क्या निकाला जाए?

इस पर डॉ। मनोज कहते हैं, "इसका मतलब ये है कि जिन 52 ज़िलों से हमें ऐसे कोविड19 पॉज़िटिव मामले मिले हैं, इनको हॉटस्पॉट मान कर हमें काम करना शुरू कर देना चाहिए। और हमें इस बात पर फ़ोकस करना होगा कि ये मामले इससे बाहर ना फैलें और हम इन्हें यहीं जड़ से ख़त्म कर दें।"

डॉ। मनोज ने बीबीसी से बातचीत में माना कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन ज़रूर आएगा, इसे हम रोक नहीं सकते। लेकिन अपने प्रयासों से इसमें देरी ज़रूर की जा सकती है। लेकिन ये कब आएगा इसका अनुमान कोई नहीं लगा सकता।

कम्युनिटी ट्रांसमिशन की पिछली रिपोर्ट

नई रिसर्च रिपोर्ट इसलिए भी अहम है क्योंकि ICMR ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लिए फ़रवरी में ही जाँच शुरू कर दी थी। पहले उन्होंने 16 इलाक़ों से रैंडम सैम्पल टेस्ट शुरू किए थे, जिसे मार्च में बढ़ा कर उन्होंने 51 जगहों पर शुरू किया था।

ICMR ने 19 मार्च को कम्युनिटी ट्रांसमिशन पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी कर कहा था, "हमने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की जाँच की। इस दौरान कुल 826 टेस्ट किए जिसमें एक भी सैम्पल में कोरोना संक्रमण नहीं मिला है।"

लेकिन अब जाँच और सैम्पल का दायरा बढ़ते ही नए कोरोना पॉज़िटिव मामले सामने आ रहे हैं। जानकार इसे 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' के संकेत के तौर पर ज़रूर देख रहे हैं। कोरोना संक्रमण में देश में इस रिपोर्ट की वजह से ख़तरे की घंटी बज गई हैं।