Vikrant Shekhawat : Feb 03, 2025, 09:53 AM
Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल की शुरुआत से ही आक्रामक नीतियों को अपनाया है। एक के बाद एक कई बड़े फैसले लेते हुए, उन्होंने अमेरिका के व्यापारिक और सामरिक हितों की रक्षा को प्राथमिकता दी है। हाल ही में, ट्रंप प्रशासन ने पनामा नहर के नियंत्रण को लेकर एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें अमेरिका को फिर से इसका संचालन सौंपने की मांग की गई है।
ट्रंप की चेतावनी और अमेरिका का रुखडोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि चीन ही पनामा नहर चला रहा है, जबकि इसे चीन को नहीं दिया गया था। उन्होंने समझौते के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका इसे वापस लेने के लिए ठोस कदम उठाएगा। ट्रंप के इस बयान के कई निहितार्थ हो सकते हैं, जिन्हें चीन और पनामा के खिलाफ चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अमेरिका हर हाल में पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण प्राप्त करेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पनामा नहर को "बेवकूफाना तरीके" से पनामा को सौंपा गया था, लेकिन अब अमेरिका इसे वापस लेना चाहता है। यह बयान अमेरिका की नई आक्रामक रणनीति को दर्शाता है।अमेरिकी विदेश मंत्री की पनामा को चेतावनीअमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी पनामा को स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि जलमार्ग से चीन का नियंत्रण समाप्त किया जाए, अन्यथा वाशिंगटन आवश्यक कदम उठाएगा। इस धमकी के बाद, पनामा सरकार की ओर से प्रतिक्रिया भी सामने आई है। पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने अमेरिका को आक्रामक रुख से दूर रहने की सलाह देते हुए बातचीत के लिए तैयार होने की बात कही है।पनामा नहर: अमेरिका से पनामा तक का सफरपनामा नहर की कुल लंबाई 82 किलोमीटर है, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण कराया था और 1914 में इसे संचालन में लाया गया था। लंबे समय तक अमेरिका ने इस नहर का नियंत्रण बनाए रखा।लेकिन 1977 में अमेरिका और पनामा के बीच एक संधि हुई, जिसमें संयुक्त नियंत्रण की व्यवस्था तय की गई। बाद में, 1999 की संधि के तहत पनामा नहर का पूरा नियंत्रण पनामा सरकार को सौंप दिया गया।हाल के वर्षों में, चीन ने पनामा में अपने प्रभाव को बढ़ाया है, जिससे अमेरिका को रणनीतिक खतरा महसूस हो रहा है। पनामा ने ताइवान से राजनयिक संबंध समाप्त कर चीन से घनिष्ठ संबंध स्थापित किए, जिससे चीन ने इस देश में भारी निवेश किया। यही कारण है कि ट्रंप प्रशासन इसे अमेरिका के हितों के खिलाफ मानते हुए विरोध कर रहा है।क्या अमेरिका नहर पर फिर से नियंत्रण कर पाएगा?ट्रंप प्रशासन का यह रुख अमेरिका की वैश्विक रणनीति को इंगित करता है, जिसमें वह अपनी खोई हुई सामरिक संपत्तियों को वापस लेने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, पनामा सरकार और चीन के बढ़ते संबंधों को देखते हुए, अमेरिका के लिए इसे फिर से हासिल करना आसान नहीं होगा।यदि अमेरिका इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर सकता है। चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही व्यापार युद्ध जारी है, और इस मुद्दे के कारण दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।फिलहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन अपने इस बयान को वास्तविकता में कैसे परिवर्तित करता है और पनामा नहर पर फिर से नियंत्रण पाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाते हैं।