देश / सोनिया गांधी के फैसलों ने असंतुष्टों के सामने खड़े कर दिए कई सवाल

News18 : Sep 12, 2020, 08:41 AM
Delhi: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने पार्टी में विरोध की आवाज़ बुलंद करने वालों का हौसला पस्त कर दिया है। किसी को कांग्रेस कार्यसमिति में तो किसी को पार्टी के जरूरी समितियों में शामिल करके सोनिया ने पार्टी के भीतर बढ़ रहे असंतोष को साम, दाम, दंड और भेद की नीति से अपने नियंत्रण में ले लिया है। जिन 23 लोगों ने राहुल और सोनिया की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए लेटर बम फोड़ा था, उन्हें अब दूसरा समूह बनाना होगा। स्पष्ट तौर पर देखें तो मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा, गुलाम नबी आजाद और जितिन प्रसाद अगर पार्टी संगठन के भीतर नए पद स्वीकार करने से मना करते हैं, तब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में चुनाव कराने की उनकी मांग वाजिब मानी जाएगी।

सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि दो और सीनियर लीडर्स- सचिन पायलट और शशि थरूर को क्या मिलेगा? सचिन चिट्ठी लिखने वालों में शामिल नहीं थे, लेकिन उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आवाज उठाई थी। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो पायलट AICC मुख्यालय में महत्वपूर्ण भूमिका के इंतजार में हैं। अटकलें इस बात की लगाई जा रही हैं कि वे कांग्रेस के मीडिया डिपार्टमेंट में भी भेजे जा सकते हैं।


लोकसभा का पद किसे मिलेगा!

बंगाल कांग्रेस इकाई के तौर पर अधीर रंजन चौधरी की नियुक्ति के बाद लोकसभा में कांग्रेस के नेता की हाई प्रोफ़ाइल पोस्ट खाली है। चौधरी दोनों पदों पर एक साथ काम कर सकते हैं, लेकिन कांग्रेस के नियमों से परिचित लोगों का कहना है कि चौधरी को पार्टी के 'एक व्यक्ति, एक पद' के अनौपचारिक नियम के चलते संसदीय दायित्वों से मुक्त किया जा सकता है। ऐसे में थरूर और मनीष तिवारी दोनों दावेदार हो सकते हैं। हालांकि, अगर पार्टी आलाकमान से उनकी तनातनी जारी रही इससे पार्टी के एक और वरिष्ठ के सुरेश के लिए फायदे का सौदा होगा, जो फिलहाल लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप हैं।

सोनिया की सहायता के लिए एक विशेष समिति में मुकुल वासनिक को शामिल करने से असंतुष्टों को धक्का लगा है। पैनल में एके एंटनी, अहमद पटेल, अंबिका सोनी, के सी वेणुगोपाल, रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हैं। यह पैनल कांग्रेस संसदीय बोर्ड या 'सामूहिक नेतृत्व' के बराबर है जैसा असंतुष्ट नेता चाहते थे। अगर सोनिया गांधी निकट भविष्य में देश से बाहर जाती हैं, तो यह पैनल उनकी गैर-मौजूदगी में उनके लिए काम करेगा।

क्या मुकुल वासनिक 'गुप्तचर' थे?

असंतुष्टों का एक वर्ग अब सोच रहा है कि क्या वासनिक उनके समूह में हाईकमान के 'गुप्तचर' थे? वासनिक एक संगठनात्मक व्यक्ति रहे हैं, जो राजीव गांधी से लेकर पी। वी। नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी, सोनिया और राहुल गांधी तक लगातार पार्टी अध्यक्षों के करीबी रहे हैं। इसलिए G23 में उनकी मौजूदगी हमेशा डराने वाली थी।

AICC में नई नियुक्तियों और उससे पहले के विवादों को देखते हुए G23 को अब तीन श्रेणियों बांट दिया गया है। पहले जो हारे हुए है, दूसरे जो जीते और तीसरा जिन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। जो हार गए उसमे गुलाम नबी आज़ाद और जीते हुए लोगों में कपिल सिब्बल, वासनिक, आनंद शर्मा, जितिन प्रसाद, आर पी। एन। सिंह हैं लेकिन थरूर, मनीष तिवारी, पृथ्वीराज चव्हाण, मुरली देवड़ा, विवेक तन्खा आदि का भविष्य अधर में है। उनके पास पीछे हटने का विकल्प है या फिर वे वह विकल्प खोजें जो कही नहीं है।


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