News Platform : Nov 12, 2019, 09:41 PM
नई दिल्ली. देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी करके मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। इसके लिए बैंक ने ऑटोमोबाइल की घटती सेल, एयर ट्रैफिक मूवमेंट में गिरावट, कोर सेक्टर ग्रोथ सुस्त पड़ना और कंस्ट्रक्शन व इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में गिरावट को जिम्मेदार ठहराया है।कई संस्थाएं कम कर चुकी हैं ग्रोथ रेट का अनुमानएशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB), वर्ल्ड बैंक (WO), ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OCED), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अंतरराष्ट्रीय मॉनिटरी फंड (IMF) जैसी संस्थाएं भी भी चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े कम कर चुकी हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय जीडीपी छह साल के सबसे निचले स्तर 5 फीसदी पर थी।मॉनिटरी पॉलिसी में हो सकता है रेट कटअपनी रिपोर्ट में एसबीआई ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है। एसबीआई ने कहा कि फैक्ट्री आउटपुट आठ साल के निचले स्तर पर होना खतरे की स्थिति है। इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) सितंबर माह के लिए -4.3 फीसदी पर रहा। एसबीआई ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि इस बात की उम्मीद की जा रही है कि जीडीपी में स्लोडाउन को देखते हुए रिजर्व बैंक दिसंबर में मॉनिटरी पॉलिसी में रेट कम कर सकता है।एनबीएफसी सेक्टर के लिए प्रभावशाली उपाय करने की जरूरतरिपोर्ट में एसबीआई ने पॉलिसी सरप्राइसेज के बारे में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि, इस वक्त जरूरी है कि सरकार टेलीकॉम, पॉवर और एनबीएफसी सेक्टरों में कोई नेगेटिव पॉलिसी लागू न करे। उदाहरण के लिए, यह जरूरी है कि एनबीएफसी सेक्टर के लिए प्रभावशाली उपाय किया जाए, जिसे लंबे समय से टाला जा रहा है।