राजस्थान हाई कोर्ट ने स्टेनोग्राफर भर्ती-2024 को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है, जिसमें नियुक्तियों पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगा दी गई है। यह आदेश जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने दिनेश शर्मा सहित अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया। कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) से विस्तृत जवाब भी। मांगा है, जिससे भर्ती प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं पर स्पष्टीकरण मिल सके।
नियमों के विरुद्ध अतिरिक्त छूट का आरोप
मूल नियम और उसकी व्याख्या
अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने भर्ती का विज्ञापन जारी करने के बाद, बिना किसी आधिकारिक आदेश या स्पष्टीकरण के, अपात्र अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत की अतिरिक्त छूट प्रदान कर दी। यह कार्रवाई भर्ती नियमों के सीधे उल्लंघन में मानी जा रही है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रकार की छूट ने योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन किया है और चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। न्यायालय ने इस गंभीर आरोप पर संज्ञान लेते हुए कर्मचारी चयन बोर्ड से इस संबंध में विस्तृत जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता संदीप पाठक ने न्यायालय को भर्ती प्रक्रिया के मूल नियमों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि चयन बोर्ड ने 26 फरवरी 2024 को स्टेनोग्राफर पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इस भर्ती के विज्ञापन में स्पष्ट प्रावधान था कि उम्मीदवारों की अधिकतम 20 प्रतिशत गलतियों तक स्वीकार की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, एक विशेष नियम भी बनाया गया था जिसके तहत केवल तभी पांच प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जा सकती थी, जब पर्याप्त संख्या में पात्र अभ्यर्थी उपलब्ध न हों। यह नियम सुनिश्चित करने के लिए था कि यदि किसी विशेष श्रेणी या पद के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पा रहे हैं, तो ही थोड़ी ढील दी जाए ताकि पद खाली न रहें।
पर्याप्त अभ्यर्थियों के बावजूद छूट का आरोप
अधिवक्ता पाठक ने आगे बताया कि बोर्ड ने 21 अक्टूबर को चयन सूची जारी की। इस सूची के जारी होने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि भर्ती में पर्याप्त संख्या में योग्य अभ्यर्थी उपलब्ध थे और इसके बावजूद, कर्मचारी चयन बोर्ड ने पांच प्रतिशत की अतिरिक्त छूट को लागू कर दिया। इस छूट के परिणामस्वरूप, कई ऐसे अभ्यर्थी भी चयन सूची में शामिल हो गए जो मूल नियमों के अनुसार अपात्र थे और याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि इस मनमानी छूट ने पूरी चयन प्रक्रिया को दूषित कर दिया है और अब यही त्रुटिपूर्ण सूची नियुक्तियों के लिए आधार बनाई जा रही है।
हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश और भविष्य की दिशा
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से आग्रह किया कि इस अनियमितता को देखते हुए नियुक्तियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों पर विचार करते हुए, फिलहाल नियुक्तियों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश का सीधा अर्थ यह है कि जब तक हाई कोर्ट इस मामले की पूरी सुनवाई नहीं कर लेता और कोई अंतिम निर्णय नहीं सुना देता, तब तक स्टेनोग्राफर भर्ती-2024 के तहत कोई भी नियुक्ति नहीं की जा सकेगी और कोर्ट ने कर्मचारी चयन बोर्ड को इस मामले में अपना पक्ष रखने और लगाए गए आरोपों का जवाब देने के लिए समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई में बोर्ड को यह स्पष्ट करना होगा कि किन परिस्थितियों में और। किस अधिकार के तहत यह अतिरिक्त छूट प्रदान की गई, जबकि नियमों में इसकी अनुमति नहीं थी। इस निर्णय से भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों के पालन की आवश्यकता पर बल दिया गया है।