राजस्थान / सरकार की असफलताओं को छिपाने के लिए मीडिया को धमकाना बंद करें गहलोत: सतीश पूनिया

Zoom News : Jan 15, 2020, 08:17 PM
जयपुर | राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने बुधवार को कहा कि मीडिया तो अपना धर्म निभाएगा ही, मुख्यमंत्री गहलोत अपनी असफलताओं को लेकर मीडिया को धमकाना बंद करें, वह सच्चाई को बताएगा ही।

सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार की सफलता और असफलताओं को उजागर करके मीडिया लोकतंत्र को मजबूत करने का काम करता है, इसलिए वह लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहलाता है। इस व्यवहार को लेकर  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने नोटिस भेजा है, जिसमें दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पूनिया ने कहा कि सरकार पूर्ण रूप से असफल है और प्रदेश के हालात खराब हो गए हैं तो ऐले में मुख्यमंत्री को अपने शासन को ढंग से संभालना चाहिए ना कि मीडिया को धमकाने जैसी ओछी हरकत करनी चाहिए।

पिछले 13 महीनों में राजस्थान की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है, कानून व्यवस्था से लेकर सरकार की ओर से जनता को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं में भी सरकार पूरी तरह से निष्क्रिय है। अपराधों के मामलों में राजस्थान भारत के अग्रणी राज्यों में आ चुका है। लूट, बलात्कार, डकैती, हत्या जैसी घटनाएं और कई तरह के आपराधिक मामले रिकॉर्ड स्तर पर दर्ज हुए हैं, लेकिन गृहमंत्री रहते हुए अशोक गहलोत इन मामलों पर संवेदनशील नहीं दिखते।

पूनिया ने कहा कि कोटा सहित राजस्थान के अन्य जिलों में छोटे बच्चों की मौत के बावजूद भी स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा बिल्कुल गंभीर नहीं दिखते और उन्हें यह मामला बहुत छोटा-मोटा नजर आता है। किसानों को टिड्डियों के कारण बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ा, उनकी सारी फसलें चौपट हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत किसानों की जेब टटोल कर आ जाते हैं, किसी प्रकार की राहत की घोषणा नहीं करते।

उन्होंने कहा कि गहलोत और उनके कई विभागों की अकर्मण्यता और लापरवाही को उन्हीं की सरकार में उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट बार-बार बयां कर चुके हैं। हर महीने उनके दो-तीन बयान आ जाते हैं, जिसमें वह अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते हैं। सरकार दो धड़ो में बंटी हुई है, सरकार में दो पॉवर सेंटर हैं। सरकार और कांग्रेस संगठन में आपसी खींचतान चल रही है, जिसके कारण राजस्थान की जनता के जनहित के काम नहीं हो रहे हैं।

पूनिया ने कहा कि अशोक गहलोत प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जिनसे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनके बयान पर स्पष्टीकरण मांगा है, जिससे लगता है कि गहलोत सरकार से मीडिया की आजादी को खतरा है। स्वयं को गांधीवादी विचारधारा वाले नेता कहने वाले अशोक गहलोत का यह बयान बेहद निराशाजनक और निंदनीय है।

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एवं प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष सीके प्रसाद की नजर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का वक्तव्य आने पर उन्होंने प्रसंज्ञान लेते हुए प्रेस काउंसिल 1979 के एक्ट की धारा 13 ( इंक्वायरी प्रोसीजर) के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।

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