विशेष / सारागढ़ी के शहीदों को क्यों नहीं मिल पाया विक्टोरिया क्रॉस, बाद में किसे मिला?

Zoom News : Sep 12, 2019, 05:04 PM
आज सारागढ़ी के शहीदों का बलिदान दिवस है। अक्षय कुमार द्वारा उनके उपर फिल्म बनाने के बाद शहीद ईसरसिंह और उनकी पूरी बटालियन मशहूर हो गई। उस समय ब्रिटेन की संसद ने खड़े होकर इनकी शहादत को नमन किया। परन्तु उन्हें तत्कालीन समय वीरता का सबसे बड़ा पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस नहीं दिया गया।
सारागढ़ी के रणबाँकुरे 21 सिख जवानों ने 10 हजार अफगानों को रोक लिया और उनमें से सैकड़ों को मार डाला था। 12 सितम्बर 1897 के दिन हुआ यह युद्ध विश्व के सैनिक इतिहास की एक ऐसी अनुपम गाथा है जो भारतीय जवानों के शौर्य और पराक्रम का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करती है। बताया जाता है जब महारानी विक्टोरिया को इसकी ख़बर मिली तो उन्होंने सभी 21 सैनिकों को इंडियन ऑर्डर ऑफ़ मैरिट देने का ऐलान किया। ये उस समय तक भारतियों को मिलने वाला सबसे बड़ा वीरता पदक था जो तब के विक्टोरिया क्रॉस और आज के परमवीर चक्र के बराबर था। इन सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस इस लिए नहीं दिया जा सकता था क्योंकि तब तक विक्टोरिया क्रॉस सिर्फ अंग्रेज सैनिकों को ही मिल सकता था। सन 1911 में जॉर्ज पंचम ने पहली बार घोषणा की कि भारतीय सैनिक भी विक्टोरिया क्रॉस जीतने के हक़दार होंगे। इसके बाद 1914 में पहली बार दरबानसिंह नेगी और खुदाबाद खान को विक्टोरिया क्रॉस मिला। 

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