COVID-19 Update / स्टडी में दावा- चीन नहीं, फ्रांस में आया था कोरोना का पहला केस

AajTak : Jun 02, 2020, 04:02 PM
फ्रांस: के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की एक टीम ने दावा किया है यूरोप में पहला कोरोना वायरस का केस जनवरी में नहीं आया था। यह उससे भी दो महीने पहले आया था। लेकिन तब उस समय डॉक्टर इस बीमारी और उसके लक्षणों को समझ नहीं पाए थे। अगर ये दावा सच निकला तो हो सकता है कि पूरी दुनिया का ध्यान चीन और वुहान से हटकर फ्रांस की तरफ चला जाए। 

फ्रांस के डॉक्टरों की मानें तो यूरोप का पहला केस 16 नवंबर 2019 को फ्रांस के कोलमार शहर में आया था। फ्रांस के उत्तर-पूर्व में बसे इस शहर के एक अस्पताल में नवंबर से लेकर दिसंबर तक फ्लू की शिकायत लेकर 2500 से ज्यादा लोग आए थे। 

डॉक्टरों ने इन सभी लोगों की एक्सरे रिपोर्ट जांची। इनमें से सिर्फ दो लोगों के एक्सरे में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। लेकिन उस समय डॉक्टरों को इस बीमारी और उसके लक्षणों का अंदाजा नहीं था, इसलिए इसका रिकॉर्ड दर्ज नहीं हो पाया। 

कोलमार के अल्बर्ट श्वित्जर अस्पताल के डॉ। माइकल श्मिट और उनकी टीम ने दावा किया है कि अभी तक जिन्हें यूरोप के देशों में केस जीरो माना जा रहा है, वो दावे गलत भी साबित हो सकते हैं।

टीम का दावा है कि चीन में कोरोना का पहला केस ही न आया हो, क्योंकि ये संक्रमण नवंबर तक तो यूरोप में दस्तक दे चुका था। जबकि, फ्रांस ने अपने पहले केस की रिपोर्ट 24 जनवरी 2020 को दी थी।

वहीं, दुनिया में कोरोना वायरस फैलाने की वजह चीन के वुहान शहर को माना जाता है। यहां चीन की सरकार ने 31 दिसंबर 2019 को कोरोना संक्रमण की जानकारी पूरी दुनिया को दी थी। लेकिन कोरोना के संक्रमण की खबर 7 जनवरी 2020 को पुख्ता हुई। 

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने दावा किया था कि वुहान में कोरोना वायरस का संक्रमण नवंबर में ही फैला था। डॉ। माइकल श्मिट कहते हैं कि सबसे पहले मरीज का पता लगाने के बाद बीमारी के फैलने और उसके प्रभाव का अध्ययन आसानी से हो सकता है। साथ ही वैक्सीन बनाने में भी मदद मिलेगी।

डॉ। श्मिट कहते हैं कि हम भविष्य को सुधार सकते हैं, अगर इतिहास जान लें। फिलहाल तो हम यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि ये संक्रमण कहां से फैलना शुरू हुआ लेकिन हमारे पास दो मरीजों की केस हिस्ट्री है जो 16 नवंबर 2019 को कोरोना का संक्रमण लेकर अस्पताल आए थे। 

वॉशिगंटन यूनिवर्सिटी के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ। विन गुप्ता ने बताया कि उन्होंने डॉ। श्मिट की रिपोर्ट पढ़ी है। वह सिलसिलेवार लिखी गई है। सही भी है। डॉ। श्मिट के पास इसके प्रमाण भी हैं। हो सकता है कि चीन से पहले शुरुआती कोरोनावायरस के लक्षण ऐसे ही रहे हों जैसे यहां के दो मरीजों के एक्सरे में दिख रहे हैं।

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