COVID-19 Update / स्टडी में दावाः कोरोना मरीजों के दिमाग पर हो रहे ये खतरनाक नुकसान

AajTak : Jul 09, 2020, 12:25 PM
Covid19: कोरोना वायरस शरीर में सिर्फ फेफड़ों पर ही असर नहीं करता। बल्कि आपके दिमाग पर भी बुरा असर डालता है। लंदन के वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना वायरस की वजह से दिमाग काम करना कम कर देता है। इसका नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। दिमाग की नसों में सूजन आ जाती है। संक्रमित इंसान फिजूल बातें सोचता है। फालतू की बातें करने लगता है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने कोरोना से जूझ रहे 43 मरीजों के दिमाग की जांच की। उनको निगरानी में रखा तो पता चला कि कोरोना वायरस की वजह से मरीजों के दिमाग की नसें सूज जा रही हैं। मनोविकृति हो रही है। वे बेवजह बातें करने लगते हैं। 

यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के माइकल जैंडी और इस स्टडी के सहायक लेखक ने बताया कि अगर हम बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस के असर को देखते हैं तो पाएंगे कि यह 1920 और 1930 में फैले इंफ्लूएंजा फ्लू की तरह ही मरीजों के दिमाग पर बुरा असर डाल रहा है। 

आमतौर पर ये माना जाता है कि कोरोना वायरस का ज्यादातर असर फेफड़ों और शरीर की श्वास प्रणाली पर होता है। लेकिन अब दिमाग पर भी इसके दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।

कनाडा की वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट एड्रियन ओवेन ने बताया कि इस समय सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि कोरोना वायरस से लाखों लोग पीड़ित हैं। अगर एक साल के अंदर 1 करोड़ लोग भी इस बीमारी से रिकवर हो जाते हैं तब भी उनके शरीर में कई बीमारियां घर बना लेंगी। उनमें से दिमागी समस्याएं भी प्रमुख होंगी। इससे उनका डेली रूटीन का काम खराब होगा। 

एड्रियन ने बताया कि कोरोना की वजह से लोगों के दिमाग में सूजन आ रही है। यह सूजन दुर्लभ है। इसे एक्यूट डिसेमिनेटेड इंसिफेलोमाइलिटिस (ADEM) कहते हैं। यह ज्यादातर युवाओं और बच्चों में देखने को मिल रही है। 

इस स्टडी को करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें हर महीने एक मरीज ADEM का शिकार मिल रहा है। लेकिन पिछले एक हफ्ते में इस बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। 

एड्रियन ओवेन ने कहा कि अगर कोई ये सोचता है कि दिमाग पर असर कुछ ही दिन रहेगा तो वो गलत होगा। हमें नहीं पता कि कोरोना वायरस की वजह से दिमाग पर होने वाले दुष्प्रभाव कितने सालों तक रहेंगे। 

इस स्टडी को करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनियाभर के डॉक्टरों को कोरोना वायरस से जूझ रहे और रिकवर हो चुके मरीजों के दिमाग की जांच भी करनी चाहिए। ताकि पता चल सके कि यह खतरनाक वायरस मरीजों के दिमाग पर किस तरह का असर डाल रहा है।






 


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