मुंबई / सवालों में घिरे उद्धव ठाकरे ने तोड़ी चुप्पी, जानिए कंगना के आरोपों पर क्या कहा

Zee News : Sep 13, 2020, 03:49 PM
मुंबई: कोरोना, कंगना और सुशांत राजपूत की वजह से सवालों में घिरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को अपनी चुप्पी तोड़ी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा कि महाराष्ट्र को बदनाम करने का सिलसिला चल रहा है। लेकिन यह कामयाब नहीं होगा। उद्धव ने सुशांत, कंगना पर बात करने के बजाय मराठा आरक्षण और कोरोना पर ज्यादा देर तक बात की। महाराष्ट्र की बदनामी का जो सिलसिला चल रहा है उस बारे में बात करुंगा


ये राज्य मेरा परिवार है: उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये राज्य मेरा परिवार है। हम चाहे विदर्भ हो या राज्य के दूसरे हिस्से, सभी पर बारी-बारी से ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जितने भी राजनीतिक तूफान है, उनका मैं सामना करूँगा। कोई परवाह नही है। जनता से उनका यही कहना है कि वे सरकार से खबरदारी लें, जबकि जवाबदारी सरकार देगी। उन्होंने कंगना का नाम लिए बिना कहा कि उनकी खामोशी को कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक साइक्लोन आते रहेंगे और वो उनका सामना करते रहेंगे। 


घर से बाहर निकलते हुए मास्क पहनें लोग

उद्धव ने कहा कि कोरोना महामारी आखिरी स्टेज पर है। लेकिन अभी पूरी तरह गई नहीं है। इसलिए घर से बाहर निकलते हुए मास्क पहने और सामाजिक दूरी का पालन करें। उन्होंने कहा कि मास्क नही लगाने पर दंड वसूला जाएगा। अगर दुकानदारों ने सावधानी नहीं बरती तो उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए पिछले 4 महीने में 3 लाख 60 हजार बेड की संख्या बढ़ाई गई है। 

किसानों के लिए लेकर आए हैं नई स्कीम

उन्होंने कहा कि किसान वर्क फ्रॉम होम नही कर सकते है। इसलिए सरकार ने उनके लिए नई योजना तैयार की है। इस योजना में जो बिकेगा वही उगेगा के तहत किसानों को बिकने वाली फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।


सरकार मराठा आरक्षण के पक्ष में

मराठा आरक्षण पर बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार पूरी तरह इस आरक्षण के साथ है। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है। वहां पर सुनवाई के लिए सरकार ने बड़े- बड़े वकील खड़े किए हैं। इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां भी सरकार के साथ हैं। उन्होंने मराठा समुदाय से अपील की कि वे आरक्षण के लिए सड़क पर उतरने की जल्दबाजी न करे। जबकि सरकार उनकी बात सुनने में असफल हो जाए, तब वे इस उपाय को आजमा सकते हैं। 

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