विदेश / तालिबान ने कहा- अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में बड़ी भूमिका निभा सकता है चीन

Zoom News : Aug 20, 2021, 10:30 AM
काबुल: बंदूक के बल पर अफगानिस्‍तान की सत्‍ता में आए तालिबानी आतंकियों को पाई-पाई के लिए तरसना पड़ रहा है। अमेरिका ने जहां अफगानिस्‍तान के 9.5 अरब डॉलर जब्‍त कर लिए हैं, वहीं जर्मनी ने भी हर महीने दी जाने वाली सहायता को रोक दिया है। इससे अब तालिबान को सरकार चलाने में काफी मुश्किलें हो रही हैं। तालिबानी प्रशासन ने सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी पर आने को कह दिया है लेकिन उसके पास उन्‍हें देने के लिए सैलरी का पैसा नहीं है। इस मुश्किल की हल के लिए तालिबान अब अपने आका पाकिस्‍तान के आयरन ब्रदर चीन की शरण में पहुंच गया है।

तालिबान के प्रवक्‍ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि चीन ने अफगानिस्‍तान में शांति और सुलह की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई है और देश के पुनर्निर्माण में उसका खुले दिल से स्‍वागत है। उन्‍होंने चीन की सरकारी मीडिया से बातचीत में कहा, 'चीन एक बड़ा देश है और उसकी अर्थव्‍यस्‍था तथा क्षमता बहुत विशाल है। मैं समझता हूं कि चीन अफगानिस्‍तान में पुनर्निर्माण और पुनर्वास प्रक्रिया में बड़ी भूमिका निभा सकता है।' तालिबान को उम्‍मीद है कि चीन अफगानिस्‍तान में निवेश करेगा जिससे उसकी आय बढ़ेगी और अमेरिकी प्रतिबंध बेअसर हो जाएंगे।

चीन ने रखी है तालिबान के सामने कड़ी शर्त

विश्‍लेषकों का मानना है कि रूस और अमेरिका से उलट चीन ने अफगानिस्‍तान में जंग नहीं लड़ा है। बहुत तेजी से सुपर पावर बनने की ओर बढ़ता चीन इस तथ्‍य का फायदा उठाकर तालिबान के साथ डील कर सकता है। इससे पहले पिछले महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी। इसमें उन्‍होंने शर्त रखी थी कि चीन तभी तालिबान की मदद करेगा जब वह उइगर विद्रोहियों को अपनी जमीन पर शरण नहीं देगा। साथ ही चीन ने कहा था कि उन्‍हें उम्‍मीद है कि तालिबान इस्‍लाम के उदारवादी रूप का अनुसरण करेगा।

अफगानिस्‍तान के खजाने पर चीन की नजर

चीन अफगानिस्‍तान के साथ यूं ही दोस्‍ती नहीं गांठ रहा है। चीनी ड्रैगन की नजर अफगानिस्‍तान के एक ट्रिल्‍यन डॉलर के खजाने पर है। दरअसल, दुनिया के सबसे गरीब देशों में अफगानिस्तान शामिल है लेकिन 2010 में अमेरिका के सैन्य अधिकारियों और भूगर्भ विशेषज्ञों ने खुलासा किया था कि देश में करीब 1 लाख करोड़ डॉलर का खनिज भंडार है। इससे देश की इकॉनमी में आमूलचूल बदलाव आ सकता है।

देश में कई स्थानों पर लोहे, तांबे और सोने के भंडार हैं। साथ ही वहां कुछ दुर्लभ खनिज भी हैं। माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में लिथियम का सबसे बड़ा भंडार हो सकता है। यह रिचार्जेबल बैटरी बनाने के काम आता है जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक वीकल्स में होता है। साथ ही क्लाइमेट चेंज की समस्या से निपटने के लिए जरूरी दूसरी टेक्नोलॉजीज में भी इसका इस्तेमाल होता है।

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