Bihar Assembly Election / तेजस्वी की अग्नी परीक्षा, एक बार फिर चुनाव में लालू यादव के बिना ही उतेरगी RJD

Zoom News : Sep 26, 2020, 07:30 AM
Bihar: लालू प्रसाद, जिन्होंने बिहार की राजनीति में पिछले तीन दशक से अपना दबदबा बना कर रखा है उन्होंने 2015 में किस तरीके विधानसभा चुनाव में आरजेडी के पक्ष में बाजी पलट दी थी अब तक लोगों को याद है। 2010 विधानसभा चुनाव लालू के लिए सबसे बुरा वक्त था जब उनकी पार्टी केवल 22 सीटों पर सिमट गई थी। मगर 2015 में लालू ने अकेले पूरी बाजी पलट दी और राष्ट्रीय जनता दल 80 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद अब सियासी पारा चढ़ने लगा है। जहां सभी दल चुनावी समर में उतरने को तैयार हैं तो वही लालु इस चुनाव का हिस्सा नहीं है। मगर आज भी बिहार की राजनीति उसकी परिक्रमा के बिना पूरी नहीं होती है। यहां बात आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की हो रही है।

लालू प्रसाद पिछले 3 साल से चारा घोटाले में दोषी करार दिए जाने के बाद रांची जेल में बंद है ऐसे में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की चुनावी रणनीति और नेतृत्व क्षमता की असल परीक्षा भी इन चुनावों में होगी। क्योंकि लोकसभा चुनावों में मुद्दे राष्ट्रीय स्तर के होते हैं जबकि विधानसभा चुनावों में स्थानीय मुद्दों पर बात होती है। इसके अलावा यह भी देखना वाला होगा कि तेजस्वी के बाद बिहार की जनता तेजस्वी को स्वीकार करती है या नहीं।

बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव ऐसा पहला मौका था जब लालू प्रसाद की गैरमौजूदगी में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल ने चुनाव लड़ा था मगर चुनावी नतीजों से बिल्कुल साफ है कि किस तरीके से पार्टी को लालू की कमी महसूस हुई। बता दें कि लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था मगर वह एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई।

2019 का लोकसभा चुनाव आरजेडी के लिए देश की राजनीति में सबसे खराब दौर रहा। पार्टी का एक भी सांसद संसद में नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह है चुनाव में लालू प्रसाद का गैर मौजूद होना।


SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER