दुनिया / तनाव बढ़ना तय, ट्रंप को किम की दो टूक, नहीं होगी कोई बातचीत

AajTak : Jul 04, 2020, 08:17 PM
अमेरिका | परमाणु निरस्‍त्रीकरण को लेकर उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनाव और बढ़ सकता है। दोनों देशों में तनातनी के बीच किम जोंग उन की सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को साफ संदेश देते हुए कहा है कि उसे अमेरिका से बातचीत करने की कोई जरूरत नहीं है। उत्तर कोरिया की तरफ से संदेश दिया गया है कि अमेरिका उसे अपना राजनीतिक टूल समझ रहा है। कूटनीतिक स्तर पर इसे वॉशिंगटन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमेरिकी प्रतिनिधि की दक्षिण कोरिया की यात्रा के बाद उत्तर कोरिया के एक वरिष्ठ राजनयिक ने शनिवार को यह बयान दिया है। उप विदेश मंत्री चोई सोन हुई ने कहा कि वॉशिंगटन और प्योंगयांग के बीच कोई बात नहीं होगी। उत्तर कोरिया की नीति में बदलाव नहीं होगा।

चोई ने वहां की सरकार द्वारा संचालित केसीएनए समाचार एजेंसी को दिए बयान में कहा,  "हमें यू।एस। के साथ आमने-सामने बैठने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह डीपीआरके-यू।एस बातचीत अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए अपने देश में राजनीतिक संकट के बीच एक टूल से ज्यादा कुछ नहीं है।” बता दें कि डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके)  उत्तर कोरिया का औपचारिक नाम है।

उत्तर कोरिया के साथ रुकी हुई वार्ता पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी राज्य उप-सचिव स्टीफन बेगुन अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया की यात्रा पर जाने वाले हैं।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन को नवंबर में होने वाले अमेरिकी चुनाव से पहले फिर से मिलना चाहिए, जो रुकी हुई परमाणु वार्ता को फिर से शुरू करने में मदद करेगा।

ट्रम्प के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, जॉन बोल्टन ने गुरुवार को न्यूयॉर्क में संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले किम के साथ ट्रंप एक बार फिर बातचीत कर सकते हैं।

ट्रम्प और किम जोंग उन की पहली बार मुलाकात 2018 में सिंगापुर में हुई थी। 2019 में वे फिर से वियतनाम में मिले, लेकिन वार्ता तब टूट गई जब ट्रम्प ने कहा कि किम जोंग उन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को उठाने के बदले में पर्याप्त परमाणु हथियार या बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने को तैयार नहीं हुए।

जून 2019 में दोनों नेताओं ने बातचीत को फिर से शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी। अक्टूबर में स्वीडन में दोनों पक्षों के बीच कार्य-स्तर की बातचीत टूट गई थी।

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