दुनिया / वो मुस्लिम देश, जो दुनिया का पहला नास्तिक देश बन गया

News18 : Jul 11, 2020, 11:58 AM
Delhi: साल 1976 में यूरोपियन देश अल्बानिया की पार्टी ऑफ लेबर ने देश को आफिशियली नास्तिक मुल्क घोषित कर दिया। वहां के तानाशाह एनवर होक्सहा (Enver Hoxha) मार्क्स से सहमत थे कि धर्म एक अफीम है, जिससे पूरा देश बर्बाद हो जाता है। बैन के साथ ही देश में किसी भी तरह की धार्मिक प्रैक्टिस पर पूरी तरह से रोक लग गई। कोई भी अलग अपने धर्म को मानता, किसी तरह की धार्मिक किताब पढ़ना या किसी धार्मिक समारोह का आयोजन करता या उसमें शामिल होता दिखता था, तो उसे कड़ी सजा मिलती है। होक्सहा का कहना था कि धर्म की बजाए लोग उसपर और पार्टी पर श्रद्धा रखें। इस वजह से पहले नास्तिक देश में धार्मिक स्वतंत्रता को बुरी तरह कुचला गया।


ऐसे हुई शुरुआत

सबसे पहले पादरियों के खिलाफ लड़ाई से नास्तिकता की शुरुआत हुई। ये साल 1945 की बात है, तब कम्युनिस्ट सत्ता में आए थे। साल के आखिर तक बहुत से पादरियों को पकड़ लिया गया और उनपर मिलिट्री ट्रायल हुए। साल 1946 में कईयों को मौत की सजा सुनाई गई। कुछ ही वक्त बाद होक्सहा का धर्म के खिलाफ अभियान ही छिड़ गया।

साल 1967 में उसने बाकायदा धार्मिक विचारों के खिलाफ कैंपेन चलाया। इसमें एक भाषण के साथ ही पार्टी की सेंट्रल कमेटी को चिट्ठी जारी हुई, जिसमें धर्म को मानने वालों पर हिंसक कार्रावाई की बात की गई। इसमें लिखा था- धर्म अफीम है। हमें सबको ये समझाना होगा। और जो लोग धर्म को मानते हैं, उनका इलाज करना होगा। ये आसान नहीं लेकिन नामुमकिन भी नहीं।


इसके बाद से मीडिया में अभियान चल पड़ा

खुद Albanian Institute of Political Studies के मुताबिक तब 2169 से ज्यादा धार्मिक संस्थान बंद हुए। इनमें 780 मस्जिदें थीं, 608 ऑर्थोडॉक्स चर्च और 157 कैथोलिक चर्च थे। बहुत से सूफी संस्थान थे। धर्म से जुड़े संग्रहालय भी तोड़ दिए गए। मीडिया में ऐसी चीजें दिखाई जातीं कि लोगों का धर्म से यकीन उठे या फिर न भी उठे तो वे डर जाएं। तब ट्रकों में भर-भरकर लोगों को कैंपों में ले जाया जाता और सालों तक बिना पैसों के मजदूरी करवाई जाती। ये वे लोग थे, जिन्होंने धर्म को छोड़ने से इनकार कर दिया था या फिर जो धार्मिक प्रैक्टिस जारी रखे हुए थे।


नास्तिक घोषित हुआ देश

होक्सहा के भाषण के कुछ सालों बाद साल 1976 में पीपल्स रिपब्लिक ऑफ अल्बानिया में धर्म पर पूरी तरह से रोक लग गई और देश नास्तिक घोषित हो गया। वहां के संविधान की धारा 37 कहती है कि राज्य किसी भी धर्म को मान्यता नहीं देता है और नास्तिकता को सपोर्ट करता है ताकि लोगों में वैज्ञानिक समझ आ सके। साथ ही धारा 55 में ये लिखा हुआ है कि धार्मिक आधार पर कोई भी संस्था स्थापित नहीं हो सकेगी।


कड़ी सजाओं का प्रावधान

होक्सहा की धर्म को लेकर नफरत इतनी ज्यादा थी कि उसने किसी को भी जेल में डालने से संकोच नहीं किया। धार्मिक गुरुओं को लेबर कैंप में भेजने के कई मामले खासे विवादास्पद रहे। जैसे देश के सबसे बड़े कैथोलिक गुरु ather Ernest Simoni Troshani को होक्सहा ने धर्म को मानने के लिए जेल भेज दिया। वे 25 सालों तक जेल में सख्त सजा और कड़ी मेहनत करते रहे। अमानवीय हालातों में रहने के बाद भी उन्होंने धर्म नहीं छोड़ा और होक्सहा की मौत के बाद लेबर कैंप से बाहर आ सके।

धर्म के खिलाफ बनती थीं फिल्में

होक्सहा काल के दौरान कई लोगों ने इस बात का जिम्मा लिया कि वे धर्म के खिलाफ फिल्में बनाएं और लोगों को दिखाएं ताकि उनका मन बदल जाए। उस दौरान ऐसी कई फिल्में बनीं, जिसमें धर्म के कारण आने वाली बुराइयों के बारे में बात की गई थी, जैसे Freedom or Death और To Die on One’s Feet। इन फिल्मों में बताया गया था कि पश्चिमी देशों के साथ मिलकर धर्म गुरु अपने ही देश के खिलाफ साजिश करते हैं। अल्बानिया में तब एक ही चैनल था, जो सरकारी था। इसमें ऐसी फिल्में लगभग रोज दिखाई जातीं ताकि हर कोई उसे देखे। अब भी निजी टीवी चैनलों पर भी ये फिल्में आती रहती हैं

हालांकि होक्सहा के बैन के बाद भी लोग चोरी-छिपे अपना धर्म मानते रहे। आज भी अल्बानिया को दुनिया का पहला नास्तिक देश माना जाता है लेकिन यहां की बड़ी आबादी किसी न किसी धर्म से जुड़ी है। साल 2011 में हुए जनगणना सर्वे के मुताबिक अल्बानिया की 56।7 आबादी खुद को मुस्लिम मानती है, वहीं 10।03 खुद को क्रिश्चियन मानते हैं। बाकी आबादी अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखती है। केवल 2।5 लोगों का मानना है कि वे नास्तिक हैं।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER