यूरोप / वो लड़ाई जिसमें शराब की एक बोतल के कारण चली गई 10 हजार यूरोपियन सैनिकों की जान

News18 : Apr 30, 2020, 11:53 AM
यूरोप: शराब की एक बोतल के कारण लड़ते-भिड़ते सैनिकों को जब साथी जर्मन सैनिकों (German soldiers) का हॉल्ट (halt) यानी 'रुको' शब्द सुनाई दिया, तो भाषा न जानने के कारण वे उसे अल्लाह समझ बैठे। तब तुर्क सेना लड़ाई के दौरान अल्लाह को पुकारा करती थी। नशे में चूर सैनिकों को यकीन हो गया कि तुर्क सेना ने हमला कर दिया है और वे ज्यादा जोश से आपस में लड़ने लगे। रात के धुप अंधेरे में एक-दूसरे को पहचाने बिना वो गोलियां चलाते रहे। सुबह तक एक पूरी सेना आपस में लड़कर खत्म हो चुकी थी। इसे युद्ध के इतिहास में सबसे मूर्खताभरी लड़ाई माना जाता है।

कहानी शुरू होती है सितंबर 1788 से, जब ऑस्ट्रिया की सेना यूरोप के कैरनसीब्स (Karansebes) शहर को फतह करने पहुंची। उस वक्त ऑस्ट्रियाई सेना एक खास अंब्रेला के तहत काम करती थी, जिसमें कई राज्य एक साथ मिलकर काम कर रहे थे। इसे हैब्सबर्ग साम्राज्य (Habsburg Empire) कहते थे। इस एंपायर में ऑस्ट्रिया के सैनिकों के साथ ही जर्मनी, फ्रांस, सर्बिया, पोलेंड और चेक रिपब्लिक के सैनिक भी काम कर रहे थे।


कहानी शुरू होती है सितंबर 1788 से, जब ऑस्ट्रिया की सेना यूरोप के कैरनसीब्स (Karansebes) शहर को फतह करने पहुंची थी

अलग-अलग भाषाएं होने के कारण इनमें आपस में तालमेल काफी मुश्किल से हो पाता था। यहां तक कि जंग के आदेश एक ही तरीके से सारे सैनिकों तक पहुंचाना मुश्किल था। अनुवाद जानने वालों का काफी समय इन्हीं बातों में जाता।

तब ये सारे सैनिक मिलकर ऑटोमेन एंपायर (Ottoman Empire) यानी तुर्क सेना के खिलाफ खड़े थे। 17 सितंबर की रात गलतफहमी की शुरुआत हुई। हुआ यूं कि Danube नदी किनारे रात में गश्त करते ऑस्ट्रियाई सैनिकों को रोमानिया के कुछ लोग शराब पीते दिखे। मित्र देश होने की वजह से लोगों ने थके-हारे सैनिकों को शराब पीने का न्यौता दिया। सैनिकों ने हां भी कर दी और बैठकर शराब पीने लगे। शराबनोशी के इसी कार्यक्रम के दौरान गश्त करते कुछ और ऑस्ट्रियाई सैनिक भी आए और उन्होंने भी शराब में हिस्सा मांगा। उस वक्त तक शराब की एक ही बोतल बाकी थी। नशे में चूर हो चुके सैनिक शराब बांटने की बात पर भड़क उठे और लड़ने लगे। बात इतनी बढ़ी कि आपस में गुत्थमगुत्था सैनिक गोलियां चलाने लगे।


सैनिकों को यकीन हो गया कि तुर्क सैनिक ही हैं जो उनपर हमला कर चुके हैं, वे भी बदले में गोलियां बरसाने लगे


ये तो हुआ कहानी का एक हिस्सा। अब दूसरे हिस्से में आते हैं वे ऑस्ट्रियाई सैनिक जो बिना शराब पिए रातभर इसकी टोह में जागे हुए थे कि तुर्क सेना उनपर अंधेरे में हमला न कर दे। जैसे ही गोलियों की आवाज आई, वे सचेत हो गए। उन्हें लगा कि हमला हो चुका है। इसी दौरान वे बाकी सैनिकों को सचेत करने के लिए तुर्क।।।तुर्क चीखने लगे। ये आवाज शराब के लिए लड़ते सैनिकों तक भी पहुंची। उन्हें भी लगने लगा कि तुर्की सेना ने उनके सैनिक कैंपों पर हमला कर दिया है। मदद के लिए वे नदी पार से धड़ाधड़ अपने ही कैंपों की ओर गोलियां चलाने लगे।

इधर कैंपों में पहले ही दहशत में आए सैनिकों को यकीन हो गया कि तुर्क सैनिक ही हैं जो उनपर हमला कर चुके हैं। वे भी बदले में गोलियां बरसाने लगे। गोलियों के बीच ऑस्ट्रियाई सैनिकों के साथ काम कर रही जर्मन सेना को माजरा समझ आ चुका था। लड़ाई रोकने के लिए वे चिल्लाएं- हॉल्ट यानी रुक जाओ। सैनिकों की बड़ी टुकड़ी जो अनुवाद से सहारे ही काम कर पाती थी, इसका मतलब नहीं समझ सकी, बल्कि उन्हें लगा कि तुर्क सैनिक लड़ते हुए अल्लाह को पुकार रहे हैं। लड़ाई रोकने के लिए कहा गया ये शब्द लड़ाई को और भड़का गया। अंधेरे में सैनिक आपस में ही गोलियां चलाने लगे।

दुश्मन सेना यानी तुर्क आए लेकिन उन्हें किसी से लड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी

इस तरह से शराब की खुमारी, अंधेरे और भाषा समझ न पाने के कारण रात बीतते-बीतते 10 हजार से भी ज्यादा सैनिक आपस में लड़ मरे। इसे कैरनसीब्स की जंग (Battle of Karansebes) कहते हैं। इसके 2 दिनों बाद दुश्मन सेना यानी तुर्क आए लेकिन उन्हें किसी से लड़ने की जरूरत ही नहीं पड़ी। उनके दुश्मन पहले ही मारे जा चुके थे।

ये समझने में उस दौर के इतिहासकारों को लगभग 4 दशक लगे कि कोई सेना आपस में भिड़कर खत्म हो गई। बाद के बहुत सालों तक भी इस जंग का दस्तावेजीकरण नहीं किया गया क्योंकि ये जंग के इतिहास में सबसे बेवकूफी भरी लड़ाई मानी जाती रही थी।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER