दुनिया / ईरान की मुद्रा हुई मटियामेट, एक डॉलर के लिए देने पड़ रहे एक लाख 70 हजार रियाल

AajTak : May 14, 2020, 09:37 AM
ईरान: कोरोना वायरस की महामारी से मध्य-पूर्व में ईरान सबसे बुरी तरह प्रभावित देश है। कोरोना वायरस के संकट की वजह से तेल की कम हुई खपत और अमेरिकी प्रतिबंधों ने मिलकर ईरान की मुद्रा की हालत पस्त कर दी है।

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ईरान की मुद्रा रियाल बेहद कमजोर हो गई है। फॉरेन एक्सचेंज वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, अनाधिकारिक बाजार में ईरान की मुद्रा में सितंबर 2018 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट आई है।

वेबसाइट बॉनबास्ट.कॉम के मुताबिक, एक अमेरिकी डॉलर के बदले 1,70,000 रियाल देने पड़ रहे हैं। हालांकि, ईरान के केंद्रीय बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, आधिकारिक बाजार में एक डॉलर की कीमत 42,000 रियाल है।

मई 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर लगाम कसने के लिए बहुपक्षीय परमाणु डील को रद्द कर दिया था और ईरान पर कड़े प्रतिबंध थोप दिए थे। अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से ईरान को दूसरे देशों को अपना तेल बेचना मुश्किल हो गया। ईरान के तेल के प्रमुख आयातक देश भारत ने भी उससे तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया।

ईरान के उप-राष्ट्रपति एशाक जहांगीरी ने रविवार को कहा, अमेरिकी प्रतिबंध, कोरोना वायरस की महामारी, तेल की कीमतों में गिरावट और वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती की वजह से ईरान की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित ईरान ने अपनी अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलना शुरू कर दिया है। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अर्थव्यवस्था के लिए पाबंदियों को हटाने से संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो सकता है।

ईरान के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने की उसकी कोशिशों को बेहद नुकसान पहुंचाया है। 2018 में ईरान की कमजोर अर्थव्यवस्था, स्थानीय बैंकों की वित्तीय समस्याएं और ईरानियों के बीच डॉलर की भारी मांग के चलते रियाल की कीमत में 70 फीसदी तक की गिरावट हुई थी। उस वक्त लोगों को डर सताने लगा था कि अमेरिका के न्यूक्लियर डील से बाहर होने और उसके प्रतिबंधों लागू करने की वजह से ईरान के तेल व अन्य सामानों का निर्यात मुश्किल में पड़ जाएगा। इस वजह से ईरान में डॉलर की मांग और बढ़ गई थी।


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