COVID-19 Update / डॉक्टर बोले- इलाज के दौरान इसलिए बुरा सोचते हैं कोरोना के गंभीर मरीज

AajTak : Jul 08, 2020, 09:00 AM
Covid19: कोरोना वायरस की वजह से गंभीर रूप से बीमार हुए लोगों को कई बार इंड्यूस्ड कोमा में रखा जाता है। लंबे वक्त तक कोमा में रहने वाले मरीजों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे मरीजों की रिकवरी में भी अधिक वक्त लगता है। आईसीयू में काम करने वाले एक डॉक्टर ने ऐसे मरीजों से जुड़ी प्रमुख बातें शेयर की हैं।

mirror.co.uk में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जुडिन पुतुचेरी ने कहा है कि लंबे वक्त तक कोमा में रहने वाले कुछ मरीज परेशान होकर यहां तक सोचने लगते हैं कि काश वे मर गए होते। कोमा से निकलने के बाद भी काफी वक्त तक मरीज गंभीर परेशानियों का सामना करते हैं।

कोमा से बाहर आने वाले मरीजों को पूरी तरह होश आने में भी कठिनाई होती है और वे मतिभ्रम और गलतफहमी के भी शिकार हो सकते हैं। इसकी वजह से उन्हें काफी कंफ्यूजन होता है। इंटेसिव केयर सोसायटी से जुड़े डॉ। जुडिन पुतुचेरी कहते हैं कि कोमा से बाहर आने वाले कुछ मरीजों को ये कहने में 2 से 3 साल का वक्त लग जाता है कि वे जीवित रहकर खुश हैं।

कोमा के दौरान कड़ी दवाइयां दिए जाने की वजह से भी मरीजों की रिकवर में तकलीफ होती हैं। कोमा में रहने के दौरान गंभीर बीमार हुए लोगों का वजन भी तेजी से घटने लगता है। डॉ। जुडिन पुतुचेरी ने कहा कि सिर्फ 10 दिन कोमा में रहने वाले मरीजों को रिकवर होने के लिए हॉस्पिटल में कई महीने रहना पड़ सकता है।

कोमा में रहने वाले मरीजों को हॉस्पिटल से छुट्टी मिल जाती है तब भी उन्हें एक से 5 साल तक केयर की जरूरत हो सकती है। उन्हें बिस्तर से उतरने और बाथरूम जाने में भी मदद की जरूरत पड़ सकती है। इंटेसिव केयर में रहने वाले कई मरीज दोबारा काम नहीं कर पाते।

SUBSCRIBE TO OUR NEWSLETTER