Vikrant Shekhawat : Jun 05, 2021, 06:36 AM
Delhi: कोरोना की दूसरी लहर इतनी भयंकर रही कि कुछ ही दिनों में कई परिवार हमेशा के लिए उजड़ गए। किसी ने अपनी मां को खोया तो किसी के सिर से पिता का साया उठ गया। कुछ मामलों में माता-पिता दोनों की ही कोरोना से मौत हो गई और बच्चे हमेशा के लिए अनाथ हो गए। ताजा मामला गाजियाबाद का है जहां एक परिवार मातम में डूबा हुआ है। पिता की मौत तो 2010 में ही हो गई, अब मां भी कोरोना की दूसरी लहर में चल बसी।
कोरोना से कई परिवार बर्बादइस परिवार में चार सदस्य थे। माता पिता की मौत के बाद अब सिर्फ दो बच्चे अनाथ रह गए हैं। 12वीं में पढ़ने वाला अंश बताता है कि वो एक इंजीनियर बनना चाहते था, क्योंकि उनके पिता की यही आखिरी इच्छा थी। अंश की माने तो वो अपनी मां से काफी हिम्मत पाता था और उसी वजह से परिवार का सहारा बनना चाहता था। लेकिन फिर कोरोना की दूसरी लहर में अंश का ये सहारा भी हमेशा के लिए छिन गया।उसकी मां भी दुनिया को अलविदा कह गईं। अंश की छोटी बहन भी बोलने की स्थिति में नहीं है। उसकी नजरों में भी सबकुछ खत्म हो चुका है। वो एक तरफ रोती है तो दूसरी तरफ भाई को हिम्मत भी देती है।पूछे जाने पर उसने बताया कि वो बड़े होकर एक टीचर बनना चाहती है। वो अपने भाई की तरह खूब काम करना चाहती है और परिवार को आत्मनिर्भर बनना चाहती है। इस समय ये दोनों बच्चे गाजियाबाद में अपने चाचा के साथ रह रहे हैं। चाचा ने बातचीत के दौरान बताया है कि प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं की गई है। परिवार की तरफ से तमाम दस्तावेज दे दिए गए हैं, लेकिन मदद का कोई अता-पात नहीं है।कई बच्चे हो गए अनाथवैसे ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद से 482 किलोमीटर दूर राजस्थान में भी देखने को मिला। वहां पर अप्रैल के महीने में एक बच्चे ने अपने दोनो माता-पिता को खो दिया। हैरानी की बात ये रही कि वहां पर परिवार की तरफ से मदद करने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। लेकिन एक पड़ोसी ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए मुश्किल समय में उस बच्चे को संभाल रखा है और सरकार से मदद की अपील की है। लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी कोई सुनवाई नहीं हुई है और चारों तरफ से सिर्फ मायूसी हाथ लग रही है।
कोरोना से कई परिवार बर्बादइस परिवार में चार सदस्य थे। माता पिता की मौत के बाद अब सिर्फ दो बच्चे अनाथ रह गए हैं। 12वीं में पढ़ने वाला अंश बताता है कि वो एक इंजीनियर बनना चाहते था, क्योंकि उनके पिता की यही आखिरी इच्छा थी। अंश की माने तो वो अपनी मां से काफी हिम्मत पाता था और उसी वजह से परिवार का सहारा बनना चाहता था। लेकिन फिर कोरोना की दूसरी लहर में अंश का ये सहारा भी हमेशा के लिए छिन गया।उसकी मां भी दुनिया को अलविदा कह गईं। अंश की छोटी बहन भी बोलने की स्थिति में नहीं है। उसकी नजरों में भी सबकुछ खत्म हो चुका है। वो एक तरफ रोती है तो दूसरी तरफ भाई को हिम्मत भी देती है।पूछे जाने पर उसने बताया कि वो बड़े होकर एक टीचर बनना चाहती है। वो अपने भाई की तरह खूब काम करना चाहती है और परिवार को आत्मनिर्भर बनना चाहती है। इस समय ये दोनों बच्चे गाजियाबाद में अपने चाचा के साथ रह रहे हैं। चाचा ने बातचीत के दौरान बताया है कि प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की आर्थिक सहायता नहीं की गई है। परिवार की तरफ से तमाम दस्तावेज दे दिए गए हैं, लेकिन मदद का कोई अता-पात नहीं है।कई बच्चे हो गए अनाथवैसे ऐसा ही एक मामला गाजियाबाद से 482 किलोमीटर दूर राजस्थान में भी देखने को मिला। वहां पर अप्रैल के महीने में एक बच्चे ने अपने दोनो माता-पिता को खो दिया। हैरानी की बात ये रही कि वहां पर परिवार की तरफ से मदद करने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। लेकिन एक पड़ोसी ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए मुश्किल समय में उस बच्चे को संभाल रखा है और सरकार से मदद की अपील की है। लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी कोई सुनवाई नहीं हुई है और चारों तरफ से सिर्फ मायूसी हाथ लग रही है।