AajTak : Mar 16, 2020, 10:36 AM
मुंबई: दुनिया भर के शेयर बाजारों पर कोरोना का कहर जारी है। इसके असर से सोमवार को भारतीय शेयर बाजार भी खुलते ही धड़ाम हो गए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 1000 अंकों की भारी गिरावट के साथ 33,103.24 पर खुला। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 9,587.80 पर खुला।सुबह 9.34 बजे तक सेंसेक्स 2178 अंक टूटकर 31,925 पर पहुंच गया। इसी तरह, निफ्टी 518 अंक टूटकर 9,437.00 पर पहुंच गया। कोरोना से बचने के लिए अमेरिकी फेडरल रिजर्व और अन्य केंद्रीय बैंकों का कदम निवेशकों को रास नहीं आया है।
सोमवार को आस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई शेयर बाजार खुलते ही धड़ाम हो गए। अमेरिका और न्यूजीलैंड के केंद्रीय बैंक ने इमरजेंसी कदम उठाते हुए ब्याज दरों में कटौती की है। लेकिन इससे निवेशकों में कोई भरोसा नहीं जम पाया है।
फेडरल रिजर्व के कदम से राहत नहीं
गौरतलब है कि कोरोना के कहर से इकोनॉमी को बचाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने रविवार को ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की कटौती कर दी। बैंक ने कहा कि वह अपने बहीखाते में अगले कुछ सप्ताह में कम से कम 700 अरब डॉलर की बढ़त करेगा।
दुनियाभर में कोरोना वायरस खतरनाक रूप ले चुका है। इस वजह से ग्लोबली शेयर बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी है।सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को भी सेंसेक्स और निफ्टी 10 फीसदी से अधिक लुढ़क गया और इस वजह से 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। मतलब ये कि इस दौरान शेयर बाजार में कारोबार नहीं हुआ।हालांकि, रोक की अवधि खत्म होने के बाद सुबह 10.20 बजे एक बार फिर शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू हुई। इसके बाद से सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उतार-चढ़ाव दिखा। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1325 अंक यानी 4।04 फीसदी की बढ़त के साथ 34,103.48 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी की बात करें तो ये 365.05 (3.81%) अंक की बढ़त के साथ 9,955.20 अंक पर रहा।
इस दौरान सबसे अधिक बढ़त एसबीआई के शेयर में दर्ज की गई। ये शेयर करीब 14 फीसदी बढ़त के बाद बंद हुए। इस बीच, शेयर बाजार की गिरावट पर सरकार की ओर से पहली बार बयान आया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि कोरोनो वायरस के अलावा वैश्विक कारकों के कारण बाजार में प्रतिक्रिया हो रही है।
सेबी ने कही ये बात
वहीं बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को कहा कि शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल से निपटने के लिए ‘वह किसी भी तरह की अनिवार्य कार्रवाई’ करने के लिए तैयार है। नियामक ने कहा, ‘‘सेबी और शेयर बाजार जरूरत के हिसाब से उपयुक्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं। ’’ सेबी के मुताबिक भारतीय बाजार में गिरावट का रुख अन्य देशों के बाजारों के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम है।
सोमवार को आस्ट्रेलिया सहित दुनिया के कई शेयर बाजार खुलते ही धड़ाम हो गए। अमेरिका और न्यूजीलैंड के केंद्रीय बैंक ने इमरजेंसी कदम उठाते हुए ब्याज दरों में कटौती की है। लेकिन इससे निवेशकों में कोई भरोसा नहीं जम पाया है।
फेडरल रिजर्व के कदम से राहत नहीं
गौरतलब है कि कोरोना के कहर से इकोनॉमी को बचाने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने रविवार को ब्याज दरों में 1 फीसदी तक की कटौती कर दी। बैंक ने कहा कि वह अपने बहीखाते में अगले कुछ सप्ताह में कम से कम 700 अरब डॉलर की बढ़त करेगा।
दुनियाभर में कोरोना वायरस खतरनाक रूप ले चुका है। इस वजह से ग्लोबली शेयर बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी है।सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को भी सेंसेक्स और निफ्टी 10 फीसदी से अधिक लुढ़क गया और इस वजह से 45 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोकनी पड़ी। मतलब ये कि इस दौरान शेयर बाजार में कारोबार नहीं हुआ।हालांकि, रोक की अवधि खत्म होने के बाद सुबह 10.20 बजे एक बार फिर शेयर बाजार में ट्रेडिंग शुरू हुई। इसके बाद से सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उतार-चढ़ाव दिखा। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1325 अंक यानी 4।04 फीसदी की बढ़त के साथ 34,103.48 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी की बात करें तो ये 365.05 (3.81%) अंक की बढ़त के साथ 9,955.20 अंक पर रहा।
इस दौरान सबसे अधिक बढ़त एसबीआई के शेयर में दर्ज की गई। ये शेयर करीब 14 फीसदी बढ़त के बाद बंद हुए। इस बीच, शेयर बाजार की गिरावट पर सरकार की ओर से पहली बार बयान आया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि कोरोनो वायरस के अलावा वैश्विक कारकों के कारण बाजार में प्रतिक्रिया हो रही है।
सेबी ने कही ये बात
वहीं बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शुक्रवार को कहा कि शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल से निपटने के लिए ‘वह किसी भी तरह की अनिवार्य कार्रवाई’ करने के लिए तैयार है। नियामक ने कहा, ‘‘सेबी और शेयर बाजार जरूरत के हिसाब से उपयुक्त कदम उठाने के लिए तैयार हैं। ’’ सेबी के मुताबिक भारतीय बाजार में गिरावट का रुख अन्य देशों के बाजारों के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम है।