विशेष / Inspiring | 12वीं में फेल हो चुका शख्स कभी कुत्ते टहलाता था, टैंपो चलाता था, जानें कैसे बन गया IPS

AMAR UJALA : Oct 18, 2019, 05:06 PM
एजुकेशन डेस्क | '12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं ' शीर्षक से लिखी ये किताब अनुराग पाठक ने अपने साथी मनोज शर्मा के ऊपर लिखी है। इसमें संघर्ष से भरी ऐसी दिलचस्प कहानियां आपको पढ़ने को मिलेंगी, जिसके बारे में शायद कल्पना करना भी मुश्किल है। अपनी गर्लफेंड को दिया आईपीएस बनने का वादा मनोज शर्मा ने बखूबी निभाया। आइए पढ़ते हैं कैसे संघर्ष भरें मार्ग पर चलकर हासिल की मंजिल...

मनोज शर्मा का जन्म मुरैना, मध्यप्रदेश में हुआ था। नौवीं, दसवीं, और ग्यारहवीं में तीसरे स्थान पर रहे। उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्होंने नकल का सहारा लिया।

लेकिन 12वीं परीक्षा में नकल करना मुश्किल था इसलिए वे फेल हो गए।

सूत्रों के अनुसार उन्होंने बताया कि 12वीं परीक्षा में पास होने के लिए उन्होंने नकल की सारी तैयारी कर ली थी। पर उस वक्त वहां के एसडीएम ने स्कूल में नकल न होने के लिए ज्यादा से ज्यादा अच्छे इंतजाम करवाएं।

उस वक्त मनोज ने एसडीएम को नहीं बताया था कि वो 12वीं में फेल हो गए हैं। उनसे मिलने के कुछ दिनों बाद वे ग्वालियर आ गए।

चूंकि मनोज के पास पैसे नहीं थे इसलिए वो मंदिर में भिखारियों के पास सोते थे।

उस दौरन उसे लाइब्रेरी कम चपरासी की नौकरी मिल गई।

लाइब्रेरी में गोर्की और अब्राहम लिंकन से लेकर मुक्तबोध जैसे बड़े-बड़े लोगों के बारे में पढ़ा और उनके द्वारा किए काम को समझा।

मनोज की एसडीएम बनने की तैैयारी शुरू हो गई थी। 

वे एक लड़की से प्यार करते थे लेकिन 12वीं फेल होने के कारण वे अपने दिल की बात कहने से डरते थे। 

फिर वे ग्वालियर से दिल्ली आ गए। क्योंकि वहां भी मनोज के पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने कुत्ते टहलाने की नौकरी मिल गई। उस वक्त उन्हें चार सौ रुपए प्रति कु्त्ते के मिलते थे।

मनोज के सर दिव्यकीर्ति ने इनके एडमिशन की फीस भरी थी। 

पहले अटेंप्ट में प्री बड़ी आसानी से निकाल लिया पर दूसरे और तीसरे अटेंप्ट में क्लीअर नहीं हुआ। चौथी बार में परीक्षा उत्तीर्ण की और मेंस में पहुंच गए।

चूंकि वे अंग्रेजी में कमजोर थे इसलिए मेंस में दिक्कतें आई। 

वे बताते है कि वे एक लड़की से प्यार करते थे और उससे कहा था कि अगर तुम साथ दो तो मैं दुनिया पलटसकता हूं। इस तरह उन्होंने मेंस भी क्लीअर कर लिया और वो आईपीएस बन गए।

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