Dainik Bhaskar : Jun 28, 2019, 12:37 PM
लाइफस्टाइल डेस्क. यूरोप के स्लोवेनिया में दूध के पैकेट पर कहानियां छापी जा रही हैं। इसका लक्ष्य गिरती साक्षरता दर को बढ़ाने के साथ बच्चों को किताबे पढ़ने के लिए प्रेरित करना और उनमें सकारात्मक विचारों को बढ़ावा देना है। दरअसल ये वह कहानियां हैं, जिन्हें माता-पिता बच्चों को सोने से पहले सुनाते हैं। इस पहल की शुरुआत यूरोप की मार्केटिंग एजेंसी फ्यूचरा डीडीबी ल्यूबल्याना और रिटेलर कंपनी स्पार स्लोवेनिया ने मिलकर की है। स्लोवेनिया की साक्षरता दर कमऑर्गनाइजेशन फॉर इकनोमिक कॉर्पोरेशन एंड डवलपमेंट की हालिया रिसर्च में सामने आया कि स्लोवेनिया की साक्षरता दर यूरोप के दूसरे देशों के मुकाबले औसत से भी कम है। यहां रहने वाले चार में एक व्यक्ति को अपनी भाषा पढ़ने में दिक्कत आती है। बच्चों में किताबें पढ़ने की आदत घटती जा रही है। इसे ध्यान में रखते हुए इस पहल की शुरुआत की गई। उम्मीद की जा रही है कि यह लोगों की भाषा में सुधार लाकर साक्षरता दर को बढ़ाएगी।पेरेंट्स के लिए भी लिखी गईं कहानियांलेखक बोस्जन गोरेंक-पिजामा दूध के पैकेटों पर छपने वाली इन कहानियां को लिख रहे हैं। इनमें कुछ कहानियां अभिभावकों के लिए भी लिखी जा रही हैं ताकि वे भी सोने से पहले अपनी पढ़ने की आदत को दोबारा सुधार सकें। साथ ही वह कहानियां बच्चों से भी साझा करें। इससे बच्चों और अभिभावकों के बीच प्यार और लगाव बढ़ेगा। रात में दोनों की फोन और टेबलेट चलाने की आदत पर भी लगाम लगेगी। दूध के पैकेट पर छपने वाली यह कहानियां "द मिल्क बुक्स" के नाम से भी मशहूर हैं। यह पहल घरों में किताबें पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित कर रही और खुशियां ला रही है। कंपनी का कहना है, नेशनल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के साथ मिलकर एक और अभियान जल्द ही शुरू किया जाएगा। स्लोवेनिया के स्कूलों की आर्थिक मदद दी जाएगी ताकि लाइब्रेरी के लिए ज्यादा से ज्यादा किताबें खरीदी जा सकें और पढ़ने की आदत को बढ़ावा दिया जा सके।