Dainik Bhaskar : Aug 29, 2019, 02:44 PM
जोधपुर. एम्स के ऑन्को सर्जरी विभाग में राेबाेट की मदद से 60 वर्षीय महिला की जीभ के कैंसर का सफल ऑपरेशन किया गया। छह घंटे का यह जटिल ऑपरेशन महिला के कान के पीछे छाेटा चीरा लगाकर किया गया। मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है। यह ऑपरेशन 22 अगस्त को हुआ। गुरुवार को मरीज को छुट्टी दे दी जाएगी। एम्स प्रशासन का दावा है राजस्थान में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन है।
एम्स ऑन्काे सर्जरी विभाग के डाॅ. जीवनराम विश्नोई ने बताया कि फलोदी की महिला काे जीभ पर बड़ा छाला था। दर्द से कुछ भी खाना-पीना मुश्किल था। महिला एम्स पहुंची ताे बायोप्सी जांच करवाई, जिसमें कैंसर का पता लगा। ऑपरेशन के लिए कान के पीछे छोटा चीरा लगाकर रोबोट से कैंसर की सारी गांठों (लिम्फ नोड्स) को निकाला गया। आमतौर पर ऑपरेशन के लिए काफी बड़ा चीरा लगाना पड़ता है, जिसके निशान जीवनभर गर्दन पर नजर आते हैं।डॉक्टर्स ने कहा- रोबोटिक पद्धति से ऑपरेशन फायदेमंदडॉक्टर्स ने बताया कि मुंह के कैंसर की गांठें गर्दन की लिम्फ नोड्स में जाती हैं। इसलिए गर्दन की लिम्फ नोड्स की सर्जरी भी करनी होती है। जीभ और गाल के कैंसर के ऑपरेशन मुंह खोल कर ही किए जाते हैं। जिसके चलते गर्दन के सामने बड़ा चीरा लगाना होता है। मरीज भी गर्दन पर बड़े चीरे से चिंतित रहते हैं। ऐसे में रोबोटिक पद्धति से ऑपरेशन फायदेमंद है।अन्य सर्जरी भी रोबोट से की जा सकती हैंडॉक्टर्स ने बताया कि मुंह के टॉन्सिल, जीभ के पिछले हिस्से और लैरिंक्स के छोटे ट्यूमर की सर्जरी भी रोबोट से की जा सकती है। एम्स अधीक्षक डॉ. अरविन्द सिन्हा ने कहा कि एम्स में इस तरह के एडवांस ऑपरेशन हाेना एक माइलस्टोन है। क्योंकि भारत में ऐसे जटिल ऑपरेशन उन्नत और अत्याधुनिक तरीके से मुट्ठी भर केंद्रों पर ही हो रहे हैं।यह है रोबोटिक पद्धतिसर्जन 3-डी तकनीक से सर्जरी वाले हिस्से को देख सकते हैं। मरीज से दूर कंसोल पर बैठकर रोबोट से औजारों को मूव करा सकते हैं। डॉक्टर के हाथ स्थिर न रहने या हिलने जैसी समस्या नहीं रहती। कमांड देने के बाद रोबोट का मूवमेंट बिल्कुल सटीक रहता है। इससे होने वाली सर्जरी में न्यूनतम जटिलताएं रहती हैं। इस आधुनिक तकनीक से रोबोट द्वारा मरीज पर किसी भी प्रकार की चीर-फाड़ किए बिना केवल बेहद ही सूक्ष्म 3-4 एमएम छिद्र द्वारा सर्जरी की जाती है। ऐसे छिद्र, जो ऑपरेशन के बाद दिखाई भी नहीं देते।
एम्स ऑन्काे सर्जरी विभाग के डाॅ. जीवनराम विश्नोई ने बताया कि फलोदी की महिला काे जीभ पर बड़ा छाला था। दर्द से कुछ भी खाना-पीना मुश्किल था। महिला एम्स पहुंची ताे बायोप्सी जांच करवाई, जिसमें कैंसर का पता लगा। ऑपरेशन के लिए कान के पीछे छोटा चीरा लगाकर रोबोट से कैंसर की सारी गांठों (लिम्फ नोड्स) को निकाला गया। आमतौर पर ऑपरेशन के लिए काफी बड़ा चीरा लगाना पड़ता है, जिसके निशान जीवनभर गर्दन पर नजर आते हैं।डॉक्टर्स ने कहा- रोबोटिक पद्धति से ऑपरेशन फायदेमंदडॉक्टर्स ने बताया कि मुंह के कैंसर की गांठें गर्दन की लिम्फ नोड्स में जाती हैं। इसलिए गर्दन की लिम्फ नोड्स की सर्जरी भी करनी होती है। जीभ और गाल के कैंसर के ऑपरेशन मुंह खोल कर ही किए जाते हैं। जिसके चलते गर्दन के सामने बड़ा चीरा लगाना होता है। मरीज भी गर्दन पर बड़े चीरे से चिंतित रहते हैं। ऐसे में रोबोटिक पद्धति से ऑपरेशन फायदेमंद है।अन्य सर्जरी भी रोबोट से की जा सकती हैंडॉक्टर्स ने बताया कि मुंह के टॉन्सिल, जीभ के पिछले हिस्से और लैरिंक्स के छोटे ट्यूमर की सर्जरी भी रोबोट से की जा सकती है। एम्स अधीक्षक डॉ. अरविन्द सिन्हा ने कहा कि एम्स में इस तरह के एडवांस ऑपरेशन हाेना एक माइलस्टोन है। क्योंकि भारत में ऐसे जटिल ऑपरेशन उन्नत और अत्याधुनिक तरीके से मुट्ठी भर केंद्रों पर ही हो रहे हैं।यह है रोबोटिक पद्धतिसर्जन 3-डी तकनीक से सर्जरी वाले हिस्से को देख सकते हैं। मरीज से दूर कंसोल पर बैठकर रोबोट से औजारों को मूव करा सकते हैं। डॉक्टर के हाथ स्थिर न रहने या हिलने जैसी समस्या नहीं रहती। कमांड देने के बाद रोबोट का मूवमेंट बिल्कुल सटीक रहता है। इससे होने वाली सर्जरी में न्यूनतम जटिलताएं रहती हैं। इस आधुनिक तकनीक से रोबोट द्वारा मरीज पर किसी भी प्रकार की चीर-फाड़ किए बिना केवल बेहद ही सूक्ष्म 3-4 एमएम छिद्र द्वारा सर्जरी की जाती है। ऐसे छिद्र, जो ऑपरेशन के बाद दिखाई भी नहीं देते।